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त-तमिल) का सूचन है, जहाँ सम्भव हुआ, ग्रन्थ परिभाषा (श्लोक संख्या) का संकेत कर दिया गया है । यदि किसी ग्रन्थकी रचनातिथि सुनिश्चित ज्ञात है, तो वह भी विक्रम सम्वत् (वि० स०) या शकसम्वत् (शक) में दी गई है लः अक्षर लगभगका सूचक है ।।
सारणी-राष्ट्रकूटयुगके जैन ग्रन्थकार और उनके ग्रन्थ बृहद् अनन्तवीर्य (ल०७२५ ई०)- अकलंकके सर्वप्रथम टीकाकार
सम्भवतया सिद्धिविनिश्चयकी टीका (सं०) भवनन्दि
नन्नूल (त० व्याकरण) वादि सिंह (ल० ७२५-७५० ई०)
आप्तमीमांसालंकार (सं०) प्रमाणनौका (सं०) अज्ञात
तर्कदीपिका (सं०) वर्द्धमानपुराण (सं०) वीरसेन स्वामी (ल० ७२५-७९०) षटखण्डागम सिद्धान्तकी धवला टीका (प्रा० सं० ७२०००)
(वि० स० ८३८-७८१ ई०), कसायपाहडकी जयधवल टीका (प्रा० सं०, २००००, अपूर्ण), महाधवल (महाबन्ध) (प्रा०, ४००००) (सं०) सिद्धभूपद्धति (सं० गणित विषयक),
तिलोयपण्णत्तिका संस्कार (सम्पादन) प्रभाचन्द्रकवि (ल० ७५० ई०)
चन्द्रोदय काव्य (सं०) सगुणचन्द्र ,
अकलंकके ग्रन्थकी टीका (?) अनन्तकीर्ति प्र० ,
प्रामाण्य भंग (सं०) मारुतदेव ,
अपभ्रंश काव्य (?) इन्द्रनन्दि योगी ,
छेदपिण्ड-प्रायश्चित्तशास्त्र (प्रा०, ३३३) परवादिमल्ल (ल० ७७०-८००) धर्मकीतिके न्यायविन्दुकी धर्मोत्तरकृत टीकाका टिप्पण (सं०) कुमारसेन
वैद्यक शास्त्र (सं०), कर्मप्राभृत (सं०) विद्यानन्दिकी अष्ट
सहस्रीमें योगदान । विद्यानन्द स्त्रामि (ल० ७७५-८२५ ई०) तत्वर्थश्लोकवार्तिक, अष्टसहस्री, युक्त्यानुशासनालंकार,
विद्यानन्द महोदय, आप्तपरीक्षा, प्रमाणपरीक्षा, पत्रपरीक्षा, तर्कपरीक्षा, सत्यशासनपरीक्षा, नयविवरणम्, प्रमाणमीमांसा, प्रमाण निर्णय, श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र (सब सं०), अन्तिमके अतिरिक्त सब दार्शनिक, प्रथम तीन टीकायें हैं, शेष
मौलिक हैं। दशरथगुरु (ल० ७७५-८३५ ई०) कायचिकित्सा (सं०) उग्रादित्याचार्य
कल्याणकारक (सं०, ५०००, वैद्यक) हिताहिताध्याय (सं०,
मांसनिराकरण प्रकरण )। शिवमार सगीत गंगनरेश (७७७-८०० ई०) गजशास्त्र या हस्त्यायुर्वेद, गजाष्टक, शिवमारत–तीनों क० स्वयंभूमहाकवि (ल० ७८०-७९६) पउमचरिउ या रामायण (१२०००), रिट्ठनेमिचरिउ या
हरिवंशपुराण, पंचमी चरियउ, (नागकुमारचरित), स्वयंभूछन्द (सब-अप०)
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