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युग गाये गुण गान
श्री गोकुलचन्द्र “मधुर", हटा अभिनंदन है विज्ञ आपका, रहे सदा सम्मान पंडित बंशीधर जी का युग, गायेगा गुणगान ।
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सचमुच में बुन्देलखण्ड का, गौरव मय इतिहास सन्त, सूरमा, गुणी जनों का, हरदम रहा निवास इसी धरा के विद्वद्वर श्रीमन व्याकरणाचार्य जिनवाणी की सेवा करके, किये महा सत्कार्य धन्य ग्राम सोरई जिसकी रज, सचमुच बड़ी महान पंडित बंशीधर जी का युग गायेगा गुण गान
पुण्यवान वो पिता सिंघई जी श्री मकून्दी लाल धन्य मात राधादेवी की गोदी हुई निहाल जिसने ऐसे सुत को जन्मा, जीवन धन्य बनाया जिसकी विद्वत्ता को लख कर, जन मानस मुसकाया जैन तत्त्व का ज्ञाता अनुपम है उद्भट विद्वान पंडित बंशीधर जी का युग गायेगा गुण गान
तुम समाज के गौरव, तुम हो महा धरोहर थाती तुमने सच्चे मन से पढ़ ली, जैनधर्म की पाती देते रहें मार्ग दर्शन, पूरी करना आशायें हे साहित्य प्रणेता, किस विधि से एहसान चुकायें "मधुर" आपकी बनी रहे, इस भूतल पर मुस्कान पंडित बंशीधर जी का युग गायेगा गुण गान
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