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________________ प्रकाशकीय जैन समाजके वरेण्य विद्वान्, साहित्यकार, समाजसेवी और राष्ट्रसेवी ८५ वर्षीय 'सरस्वती वरदपुत्र सिद्धान्ताचार्य पं. बंशीधरजी व्याकरणाचार्य, साहित्य-जैनदर्शन शास्त्री और न्यायतीर्थका 'अभिनन्दन-ग्रन्थ' द्वारा हमने अभी तक अभिनन्दन नहीं किया, जबकि उन जैसे प्रायः सभी विद्वानोंको अभिनन्दन-ग्रंथ भेंट कर समाज सम्मानित कर चुका है, यह भूल कुछ दिनोंसे कोंचती रही । इसके लिए हमने परोक्ष पत्र व्यवहार किया और प्रत्यक्षमें अनेक प्रतिष्ठित महानुभावोंकी बैठक बुलाकर परामर्श किया। सभोने एक स्वरसे श्रद्धेय पण्डितजीको अभिनन्दन-ग्रंथ भेंट करने की अपनी सम्मति प्रकट की। उसके लिए एक समिति बनानेका भी निर्णय ले लिया गया। ग्यसे १७ फरवरी १९८९ को श्री पावन तीर्थक्षेत्र कुण्डलगिरि (दमोह) में अखिल भारतवर्षीय दि० जैन विद्वत्परिषदका नैमित्तिक अधिवेशन श्रीमान पं. भवरलालजी जैन न्यायती अध्यक्षतामें सम्पन्न हआ। इसमें श्री बाबूलालजी फागुल्ल, वाराणसी भी सम्मिलित हए थे । वहाँ इन्होंने कई विद्वानोंसे श्रद्धेय पण्डितजीको अभिनन्दन-ग्रन्थ भेंट करनेकी चर्चा की। इन सभी विद्वानोंने उसका समर्थन एवं अनुमोदन सहर्ष किया। इसके उपरान्त हमारा काम था एक सुयोग्य विद्वानोंके सम्पादक-मण्डलका चयन करना । हर्ष है कि जिन विद्वानोंका सम्पादक-मण्डलमें चयन किया गया था उन सभीकी हमें स्वीकृति प्राप्त हो गयी और इसके लिए उन्होंने अपना अहोभाग्य समझा। सम्पादक-मण्डलकी प्रथम बैठकमें व्यवस्थित कमेटीका निर्माण किया गया। और उसका नाम सर्वसम्मतिसे 'सरस्वती-वरवपुत्र पं० बंशीधर व्याकरणाचार्य, अभिनन्दन-ग्रन्थ प्रकाशन-समिति' रखा गया। इसका कार्यालय-महावीर प्रेस, भेलूपुर, वाराणसी-१० निश्चित किया गया । सम्पादक-मण्डलने भी अपनी कई बैठकें कीं और जिनमें उसने अभिनन्दन-ग्रंथमें देय सामग्रीका सम्पादन किया। श्रद्धेय पण्डितजीके ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित महत्त्वपूर्ण एवं चिन्तनयुक्त लेखों व निबन्धोंको इसमें दिया गया है। इस कार्य सम्पादकोंके सिवाय सदस्यों, सहयोग-राशि प्रदाताओं और शुभकामना | संस्मरण | समीक्षाप्रेषकोंके हम अत्यन्त आभारी है । महावीर प्रेसने ग्रंथको अल्प समय (एक माह) में छापकर हमें दे दिया उसके लिए उसे हम हार्दिक धन्यवाद देते हैं। विनीत सांसद डालचन्द्र जैन बाबूलाल जैन फागुल्ल अध्यक्ष मंत्री तथा प्रबन्ध सम्पादक सरस्वती वरदपुत्र पं. बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन-समिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012047
Book TitleBansidhar Pandita Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherBansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages656
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
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