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१२: सरस्वती-वरवपुत्र पं०बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दन-प्रन्य
आगमनिष्ठ विद्वान् • श्री महावीरप्रसाद जैन नृपत्या, जयपुर
मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि जैन समाजके वरिष्ठ एवं आगमनिष्ठ विद्वान् पंडित बंशीधरजी व्याकरणाचार्यका अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है। विद्वान् समाजकी धरोहर होते हैं तथा वे धर्म एवं संस्कृतिके संरक्षक माने जाते हैं । पण्डितजी सा० ने अपना समस्त जीवन जैन परम्पराओं को सुरक्षित रखने तथा उसके संवर्धनमें लगाया है। वे सरस्वतीके वरद पुत्र हैं, जिनकी लेखनी अजस्र प्रवाहित होती रहती है।
____ मैं उनके अभिनन्दनके अवसरपर अपनी हार्दिक शुभकामना प्रेषित करता हूँ तथा भावना भाता हूँ कि शतायुः होकर इसी प्रकार जिनवाणीकी सेवा करते रहें। हार्दिक मनोभावना मान्य ब्र०५० माणिकचन्द्र चवरे, अधिष्ठाता महावीर ब्रह्मचर्याश्रम, कारंजा
विद्वद्वर्य पंडित श्री बंशीधरजी व्याकरणाचार्य अपने विषयके निश्चित ही अध्यवसायी, विशेषज्ञ और विशिष्ट विचारोंके धनी हैं । विद्वत् परिषदके मान्य अध्यक्ष रह चुके हैं । जीवनमें पूरी सादगी है। उपजीविका के निमित्त वस्त्र-व्यवसाय करते हए भी स्वाध्याय-विशेषमें सतत निमग्न रहते हैं । खुरई संस्थाके निमित्त जब-जब बीना पहुँचना हुआ, आपको सदाही स्वाध्याय मग्न पाया। आपसे भेंट करके हमेशा प्रसन्नता पायी। हमें सातिशय वात्सल्य प्राप्त हुआ।
प० पू० स्व० आचार्य श्री शिवसागरजी महाराजकी परमकृपासे हई प्रसिद्ध 'खानियाचर्चा के समय पूर्वपक्ष बलशाली रूपमें रखने में आपके पक्षने कोई कसर नहीं रखी, उत्तरदाताओंको उत्तर देनेके लिए जो भारी शवित और उपयोग लगाने पड़े उनका साक्षात्कार पदसे समय होता ही है। प्रश्नोत्तरोंकी इस विस्तृत प्रक्रियासे सूक्ष्म प्रमेयोंकी सूक्ष्मतम घटाएँ प्रामाणिक अभ्यासियोंके लिए अपूर्वरूपमें उपलब्ध हुई । एक अद्भुत अध्ययनकी वस्तु सिद्धान्त वेत्ताओं द्वारा समाजको प्राप्त हुई। दोनों पक्षोंका मैं स्वयं ऋण ही मानता हूँ।
इस अभिनन्दनकी प्रशस्त पुण्यवेलामें विद्वद्वर पण्डितजीको निरामय दीर्घायुमें निर्विकल्प ज्ञानध्यानके लिए पूरी अनुकूल साधन-सामग्री उपलब्ध रहे, यह हार्दिक मनोकामना करता हूँ। निर्भीक वक्ता . पं० ब्र० गोरेलाल शास्त्री, उदासीनाश्रम, द्रोणगिरि
सरस्वतीवरदपुत्र पण्डित बंशीधरजी व्याकरणाचार्य वास्तवमें सरस्वतीके वरदपुत्र हैं। वे निर्भीक वक्ता, लेखक, मित्रजनोंकी झूठी प्रशंशासे विमुक्त हैं। उन्हें मैंने नजदीकसे देखा, प्रवचन सुना। उनके कथनमें विद्वत्ता व निर्भीकता टपकतो है । वे व्याकरणाचार्य तो हैं ही। सब विषयों में उनकी अबाधगति है। सोरई जैसे एक छोटे ग्राममें जन्म लेकर महान् विद्वान् हो गये। विद्वत्ताकी अपेक्षा वे सर्वोपरि विद्वान् है । मेरी शुभकामना है कि पण्डितजी शतायुः होकर समाज और राष्ट्रको ज्ञान देते रहें। मैं अभिनन्दन करता हूँ .५० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, हस्तिनापुर
मान्य श्री पं० बंशीधर जी व्याकरणाचार्यको अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट कर उनके अभिनन्दनकी तैयारी हो रही है, वह स्वागत योग्य है "वे इसके योग्य हैं। इसलिये मैं उनके अभिनन्दनका स्वागत करता हूँ और उनका स्वयं अभिनन्दन करता है।
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