________________
२/व्यक्तित्व तथा कृतित्व : ३१
सोरईसे पश्चिम दिशाकी ओर मदनपुर तरफ पूज्य श्री गणेशप्रसादजी वर्णीकी जन्मभूमि हंसेरा गाँव है । वहाँ उनके स्मारकके रूपमें एक छतरी-चबूतरा बनवाया गया है । उनकी ही छत्र-छायामें पूज्य पिताजीने ११ वर्ष वाराणसीमें अध्ययन किया था। यहाँसे चलकर आगे अतिशयक्षेत्र मदनपुर है, जहाँ पांडाशाहके बनवाये हुए कई प्राचीन मन्दिर हैं जो इस समय अवशेष मात्र ही दिखायी देते हैं। यहींपर फुसकेले वंशके महानुभावोंके द्वारा बनवायीं पचमढ़ियाँ भी हैं । कुछ वर्ष पहले समाजने वहाँका जीर्णोद्धार किया, अब वहाँ पक्की सड़क, धर्मशाला इत्यादि सहूलियतें मौजूद हैं।
____ इस तरह मैंने अनुभव किया कि ग्राम सोरई अतीतमें एक विश्रुत ग्राम रहा है। और अब उसका भविष्य भी उज्जवल है। इस विकसित होने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अन्तमें मैं पूज्य पिताजीके चरणोंमें अपनी और समस्त परिवारकी ओरसे श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ।
VIR
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org