________________
सागर में १९-३-९० को श्री दिगम्बर जैन पार्श्वनाथ मन्दिर (महिलाश्रम) के कलशारोहण के अवसर पर सरस्वती वरदपुत्र पं० बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दन-ग्रन्थ समारोह के अध्यक्ष
श्री रतनलालजी गंगवाल
संदेश पं० वंशीधरजी जैनदर्शनके स्वतन्त्र चेता व गम्भीर विचारक, अपनी निर्भीक लेखनीसे एक लम्बे समय तक अपनी चेतनाका प्रवाह करते रहे तथा आज भी ८४ वर्षकी आयुमें निरन्तर सक्रिय हैं। खानियाँ तत्त्वचर्चामें आपके योगदानको भुलाया नहीं जा सकता । आज जो निश्चय और व्यवहार का झगड़ा खड़ा किया जा रहा है उसका समाधान बहुत पहले ही पण्डितजीने अपने ग्रन्थ "जैनशासनमें निश्चय और व्यवहार" में कर दिया था। ऐसे सरस्वती पुत्रको अभिनन्दन-ग्रन्थ भेंटकर समाज स्वयंको गौरवान्वित कर रहा है। मैं इस अवसरपर अपनी शुभ कामनाएँ अर्पित करता हूँ।
श्री रतनलाल गंगवाल, नई दिल्ली (अध्यक्ष दिगम्बर जैन महासमिति
www.jainelibrary.or For Private & Personal Use Only Jain Education International