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________________ आचार्य श्री जस्तंसेनेसूरि अभिनंदन ग्रंथ । विमोचन समारोह महामहिर उपराष्ट्रीति डॉ.शंकरदयाल कोमा जावरील Bदितिवार'91 तसेजसरि अनि चनामा महामविकास विमोचनलय राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसूरिजी महाराज के पदचाप राष्ट्रीय मूल्यों के मार्ग पर ध्वनि बिखेरते रहे हैं। प्रारंभ से ही पहनावे में आपने खादी धारण कर रखी है। अपरिग्रह महाव्रत - उसमें भी सादगी का अस्तित्व स्वर्ण में सौरभ के समान है। भारत पाक युद्ध के गंभीर संकटपूर्ण समय आपने राष्ट्रीय रक्षा कोष में अच्छी रकम देने के लिए समाज को प्रेरित किया ही स्वयं भी रक्तदान कर राष्ट्रीय भावनाओं को सुदृढ़ किया । आपके साथ आपके शिष्य वर्ग ने भी रक्तदान में अपना योग दिया। वर्तमान में आपने अपना नैत्रदान घोषित कर रखा है। मरणोपरांत नैत्र ज्योति के लिए नेत्र दिए जाएँ, ऐसी घोषणा मानव कल्याण की राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर ही की जा सकती है। आचार्यपद की शास्त्रोक्त क्रिया सम्पन्न होने के पश्चात अपने प्रवचन में आपने व्यक्ति के राष्ट्रीय कर्तव्य पर प्रमुखता से बल दिया एवं कहा कि राष्ट्रीय कर्तव्यों के परिपालन में जैन समाज ने अग्रपीय भूमिका निर्वहित की है। आपके प्रवचनो में पिछड़े तथा कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति आपके मुखारविंद से विशिष्ट अनुभव भाव टपकता है। उनके जीवन उद्धार के लिए आप प्रयत्नशील रहकर वास्तव में राष्ट्र सेवा से जुड़ गये हैं। आपके उपदेशों से सैंकड़ों व्यक्तियों ने मांसाहार तथा कव्यसनों का त्याग किया है। श्री सम्मेतशिखर तीर्थ यात्रा संघ प्रयाण में आपने भारत के कम से कम बारह प्रांतो की भूमि पर चरण अंकित करते हुए कई मामों में छात्रों व अध्यापकों को संबोधित कर उन्हें राष्ट्रीय कर्तव्यों के ज्ञान से अवगत किया। मूलतः गुजराती भाषी होते हुए भी दक्षिण तथा उत्तर की कई भाषाओं का आपके ज्ञान ने 'एक हदय हो भारत जननी' की सूक्ति को यथार्थ में परिणत कर दिया है। आपके प्रवचनों में सभी वर्ग तथा वर्ण के श्रोता प्रांत-प्रांत का भेद भूलकर कृतकृत्य होते हैं। ६)व्यक्तिगत दर्शन में राष्ट्रसंतश्री से आर्शिवाद प्राप्त करते हुए। उपराष्ट्रपतिजी, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विमलाजी शर्मा सांसद श्री लक्ष्मीनारायणजी पांडे तथा श्री काश्यपजी पृष्ठभूमि में मुनिराज श्री नित्यानंदविजयजी महाराज | For Private & Personal use Umy
SR No.012046
Book TitleJayantsensuri Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Lodha
PublisherJayantsensuri Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages344
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size88 MB
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