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________________ प्रतिशत, क्रय, विक्रय और कुछ दूसरी प्रकार के प्रश्नों के लिए अज्ञात पदों वाले रैखिक समीकरण प्रयोग में लाये जाते हैं। छठे अध्याय के 160 से 162वें श्लोकों में दिये गये प्रश्न से निम्नलिखित समीकरण बनता है : ____a+b+c+d. Xz+x, +xg+x= 1. यहाँ a, b, c,d-ज्ञात राशियाँ हैं। महावीर के अनुसार इस प्रश्न का हल इस प्रकार है : a+b+c+d X1- 3 -- *:-a+b+c+d a+b+c+d [9, VII, 159]] 1464 _a+b+c+d -- आर्यभट्ट प्रथम और नारायम द्वारा दिये गये हल भी ऐसे ही हैं। ईसा पूर्व प्रथम सहस्राब्दि के मध्य में लिखे गये "रज्ज नियमों" में समीकरण x +yp=2 के परिमेय हल दिये गये हैं । संपूर्ण संख्याओं के हल सबसे पहले ब्रह्मगुप्त और फिर महावीर ने निकाले, जो इस प्रकार है :-- -4, 2pg, p+q. यहाँ pq स्वेच्छ संख्याएँ हैं जो कि प्राचीन यूनानियों के भी पहले ज्ञात थीं। "दो और तीन तत्त्वों से एक आकृति बनाओ !" [9, VII, 9211 समीकरण xe+a=z के परिमेय हल महावीर के अनुसार इस प्रकार हैं : 4 (-2), (+); [9, vi, 9s , , यहाँ p स्वेच्छ संख्या है। समीकरण x +ye=c के परिमेय हल इस प्रकार हए : pe, Ice-p4,c (9, VII, 95,971 PVc2-p, c. चंकि संख्या p का चुनना कठिन न था इसलिए महावीर ने एक और हल ढुंढ निकाला। m2-n22mn m+2 min2 . [9, VII, 1222] सातवें अध्याय के 1124वें श्लोक में महावीर ने समीकरण प्रणाली J +y =22 __mx+ny+pz==rxy को हल करने की विधि बताई। यहाँ m, n, pr(20) स्वेच्छ संख्याएँ हैं। आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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