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________________ अतः x के इन चार मानों में से केवल x = 150 ही ऐसा मान है जो प्रश्न की प्रत्येक शर्त को पूरा करता है। x के अन्य मान सम्भव नहीं हैं । इसलिए आचार्य ने मूल का केवल घनात्मक चिह्न ही लिया है । (2) "वाराहों के झुण्ड के अर्द्धभाग के वर्गमूल की पौगुनी राशि जंगल में गई, जहाँ शेर कीड़ा कर रहे थे। शेष झुण्ड के दसवें भाग के वर्गमूल की आठ गुनी राशि पर्वत पर गई । शेष के अर्द्धभाग के वर्गमूल की नो गुनी राशि नदी के किनारे-किनारे गई और अन्त में 56 वाराह वन में देखे गये। बताओ कि कुल कितने वाराह थे ?" हल -- कल्पना की कि यदि झुण्ड में वाराहों की संख्या x है तो, 4 x N +8√(x = 4√x/2) + {(x-4√x2) - mx-4/22 रखने पर २८ अब पुनः ' अत: तथा और y=8√y/10 – 9/\/\/ (7 - 8√y/10) =56 -9 2 C 2 = y ~ 8√y/10 रखने पर N= 942/2 =56 9+√81+4.2.56)' x = (9++ 2 = (8+ √64+10 4.128) 2 y Jain Education International x x = x= 1/2/2=12 4+ √ 10+4.2.160 )* =(4+• =200 2 युगपत् वर्णसमीकरण महावीराचार्य द्वारा निम्नलिखित प्रकार के युगपत् वर्गसमीकरण का उल्लेख किया गया हैx+y=a और xy=b इसको हल करने के लिए आचार्य ने निम्नलिखित नियम बताया है 1. गणितसारसंग्रह, अध्याय 4, गाया 56 2. वही, मध्याय 7, गाया 129 3. वही, अध्याय 7, गाथा 127 4. वही, मध्याय 7, गाथा 125 1⁄2 X 10 X - 1 2 =160 flat 2+ Va-46 ) तथा y = — (a√ a2-46) इसके अतिरिक्त महावीराचार्य ने निम्न प्रकार के युगपत् वर्ग समीकरण पर भी विचार किया है x + y C तथा xy b इसको हल करने के लिए निम्नलिखित नियम भी दिया है x= 121 Vc+b x√ [C-26 ) तथा y= 1217C+20 VC-26 ) आचार्य ने x + y = C तथा x+y=a प्रकार के वर्ग समीकरण को हल करने का भी नियम दिया हैa + √_ZC- a और y = a 2 8 Viox−4vx/2} }+56=x √2C-a2 2 For Private & Personal Use Only आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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