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या
।
=4/34/(5) +4x15
= 6 या
=36 वर्गमूल का मान ऋणात्मक नहीं हो सकता है। अतः वर्गमूल की ऋणात्मक राशि को छोड़ दिया गया है।
उच्चघातीय समीकरण-महावीराचार्य ने कुछ उच्च घातीय सरल समीकरणों का भी गुणोत्तर श्रेणी के सम्बन्ध में उल्लेख किया है। वे समीकरण निम्न प्रकार हैं(1)
ax -q (2) (-1),
यहाँ पर a गुणोत्तर श्रेणी का प्रथम पद, १ उसका गुणधन अर्थात् (n+1) वा पद है, p उसका योग तथा x अज्ञात गुणोत्तर निष्पत्ति है।
पहले समीकरण को हल करने के लिए आचार्य ने निम्न नियम दिया है
"गणघन जब प्रथम पद द्वारा विभाजित होता है, तो भागफल ऐसी स्वगुणित राशि के गुणनफल के बराबर होता है, जिसमें वह राशि, पदों की संख्या बार प्रकट होती है ।
अर्थात् x=ng दूसरे प्रकार का समीकरण हल करने के लिए आचार्य ने इस नियम का उल्लेख किया है-"वह राशि जिसके द्वारा श्रेणी के योग को प्रथम पद द्वारा विभाजित करने से प्राप्त हुई राशि में से एक घटाने पर उत्पन्न राशि में कथित भाजन सम्भव हो (जबकि समय-समय पर सब उत्तरोत्तर भजनफलों में से एक घटाने के बाद भाग देने की यह विधि की जाती हो), तो वह राशि साधारण निष्पत्ति है।"
Va
यथा
x-1 xn--1
x(x-1-1) तथा
x-1
x-1 जो कि स्पष्टतः द्वारा भाज्य है ।
इसके हल करने की विधि को इस प्रकार कह सकते हैं-योग को प्रथम पद से भाग देकर भजन फल में से एक घटाओ। फिर किसी जाँच-भाजक द्वारा शेष फल को भाग दो। प्राप्त भजनफल में से पुन: एक घटाकर फिर उसी जाँच-भाजक से भाग दो। यह क्रिया बार-बार दोहराने से यदि अन्त में भजनफल एक आ जाये, तो जाँच-भाजक ही गुण का मान होता है। अत: जाँच-भाजक ऐसा चुनना चाहिए कि अन्त में भजनफल एक आवे ।
निम्नलिखित उदाहरण द्वारा उपयुक्त विधि सरलता से समझ में आ जावेगी।
"यदि गुणोत्तर श्रेणी में प्रथम पद 3, पदों की संख्या 6, तथा श्रेणी का योग 4095 है, तो उसकी साधारण निष्पत्ति बताओ।" हल
4095 : 3 = 1365 1365 - 1 = 1364
1. गणितसारसंग्रह, अध्याय 2, गाथा 97 2. वही, अध्याय 2, गाथा 101 3. वही, अध्याय 2, गापा 102
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आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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