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कई अज्ञात राशियों वाले एकघातीय समीकरण के भी उदाहरण 'गणितसारसंग्रह' में मिलते हैं। यथा-"चार व्यापारियों ने मिलकर अपने धन को व्यापार में लगाया। महसूल पदाधिकारी ने उन लोगों में से प्रत्येक से अलग-अलग व्यापार में लगायी गई वस्तु के मान के विषय में पूछा । उनमें से एक श्रेष्ठ वणिक ने अपनी लगायी गई रकम को घटाकर 22 बतलाया। दूसरे ते 23, तीसरे ने 24 और चौथे ने 27 बतलाया । इस प्रकार कथन करने में प्रत्येक ने अपनी-अपनी लगायी हुई रकमों को वस्तु के कुल मान में से घटा लिया था। बतलाओ कि प्रत्येक का उस पण्यद्रव्य में कितना-कितना हिस्सा था ?"
उपर्युक्त प्रश्न का हल निम्न प्रकार दिया गया है—"वस्तुओं के संयुक्त शेषों के मानों के योग को एक कम मनुष्यों की संख्या द्वारा भाग देने पर भजनफल, समस्त वस्तुओं का कुल मान होगा। इस कुल मान में से विशिष्ट मानों को अलग-अलग घटाने पर मंगत साझेदार का हिस्सा ज्ञात हो जाता है।"
कल्पना की कि चार व्यापारियों के हिस्से क्रमशः Xxx औरत्र हैं।
.:.
x+
+xa+xx
_22+23+24+27
4-1
x=32-22=10 x=32-23=9 xs=32-24=8
xx=32-27-5 अतः उन व्यापारियों में से प्रत्येक का अलग-अलग हिस्सा क्रमशः 10, 9, 8 और 5 है।
कई अज्ञात राशियों वाले एकघातीय समीकरण का एक अन्य प्रकार का उदाहरण 'गणितसारसंग्रह' में उपलब्ध होता है। इसका नामकरण आचार्य महावीर ने 'विचित्र कुट्टीकार विधि' नाम से किया जिसका उद्धरण अधोवणित है
"तीन व्यक्तियों ने एक-दूसरे से, उनके पास की रकमों में से, रकमें माँगीं। पहला व्यापारी दूसरे से 4 और तीसरे से 5 मांगकर शेष के कुल धन से दुगना धन वाला बन जाता है । दूसरा व्यापारी पहले से 4 और तीसरे से 6 मांगकर शेष के कुल धन से तिगुना धन वाला बन जाता है तीसरा स्यापारी पहले से 5 और दूसरे से 6 मांगकर उन दोनों से पांच गुना धन वाला बन जाता है। बतलाओ, उसके स्थों की रकमें क्या हैं ?"3. "
न को हल करने का ढंग निम्न प्रकार दिया गया है। """ मांगी हैई रकमों के योग को, अभीष्ट व्यक्ति के अपवर्त्य में एक जोड़कर प्राप्त राशि से गुणा करते हैं। इन गुणनफलों से थैली की रकम प्राप्त करने वाले नियम द्वारा, हाथों की रकमें प्राप्त कर लेते हैं।" थैली की रकम प्राप्त करने वाला नियम इस प्रकार है - "जिस व्यक्ति के हाथ का धन निकालना हो, उसके भिन्न वाले भाग में उसी की अपवर्त्य राशि को अन्य व्यक्तियों के भिन्न वाले भाग मे गुणा करके जोड़ लेते हैं, और इस प्रकार प्राप्त योगों में क्रमश: अन्य व्यक्तियों के अपवर्त्य में एक जोड़कर योगफल का भाग देते हैं। फिर प्राप्त लब्धियों को जोड़कर योग में से, व्यक्तियों की संख्या में से 2 घटाकर इसी व्यक्ति के भिन्न वाले भाग से गुणा करके घटा देते हैं। अब प्राप्त राशि को इसके अपवर्त्य में एक जोड़ कर भाग देते हैं।" अब प्रश्न को निम्न प्रकार हल किया गया है।
1. गणितसारसंग्रह, प्रध्याय 6, गाथा 160-162 2. वही, अध्याय 6, गाथा 159 3. वही, अध्याय 6, गाथा 2531--2551 4. वही, अध्याय 6, गाथा 2511-2521 5. वही, अध्याय 6, गाथा 241
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आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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