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मानव जीवन भगवान् महावीर और मानवता का विकास शास्त्र-गुच्छक
-चरित्र-निर्माण के तीन प्रकीर्णक
समीक्षक : वैद्य प्रेमचन्द जैन
(१) मानव जीवन
इस पुस्तक में परमपूज्य आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज द्वारा भगवान् महावीर स्वामी जी की जन्मजयन्ती के अवसर पर दिए गए भाषण का सार प्रस्तुत किया गया है। आचार्य श्री सर्वधर्मसद्भाव के मूर्तिमान् प्रतीक हैं। इस भाषण में उन्होंने वेद, पुराण, महाभारत, श्रीमद्भागवत, कुरान इत्यादि के उद्धरण देकर सुखी मानव जीवन के लिए सदाचार एवं अहिंसा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।
(२) भगवान महावीर और मानवता का विकास
____ इस लघु पुस्तिका में भगवान् महावीर स्वामी, उनकी ऐतिहासिकता, उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म एवं जैन धर्म के शाश्वत सिद्धान्तों का विवेचन किया गया है। इन शाश्वत सिद्धान्तों में आचार्य श्री ने मानवता के विकास के लिए शुद्ध सात्विक भोजन, सदाचारपूर्ण सरल जीवन पर विशेष बल दिया है। मांसाहार के विरोध में उन्होंने अपना धर्मसम्मत वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए मानवजाति को अभक्ष्य भोजन का त्याग करने का सन्देश दिया है।
(३) शास्त्र-गुच्छक
आचार्य श्री को जैन धर्म के पूर्ववर्ती एवं प्रभावक आचार्यों की वाणी एवं स्तोत्रों के पठन-पाठन एवं श्रवण में विशेष आनन्द आता है। समय-समय पर आत्मोद्बोधन के लिए वे प्रभावशाली आध्यात्मिक स्तोत्रों एवं स्तवनों का संग्रह कर लेते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने बालचन्द्रोदय विरचित 'भावनाष्टकम्', स्वामी श्री समन्तभद्राचार्य प्रणीत 'बृहत्स्वयम्भूस्तोत्रम्', श्रीमत्स्वामिसमन्तभद्राचार्य विरचित 'रत्नकरण्डश्रावकाचार', श्रीमदमृतचन्द्रसूरि विरचित 'पुरुषार्थसिद्धयुपाय', श्री गुणभद्राचार्य विरचित 'आत्मानुशासनम्' एवं आचार्य श्रीमद् उमास्वामि विरचित 'तत्त्वार्थसूत्र' का संग्रह किया है।
__जैनधर्म के भक्तिपरक एवं तत्त्व चिन्तन से सम्बन्धित साहित्य में रुचि लेने वाले सुधी जिज्ञासुओं की सुविधा के लिए प्रस्तुत पुस्तक को पाकेट संस्करण में मुद्रित कराया गया है।
आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
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