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________________ जैन दर्शन मीमांसा (पृष्ठ १-१७६) 40 m m 1 - dar M १. सम्पादकीय श्री बिशनस्वरूप रुस्तगी २. स्याद्वाद साहित्य का विकास आचार्य-सम्राट् पूज्य श्री आनन्द ऋषि जी महाराज ३. द्वैतवाद और अनेकान्त युवाचार्य महाप्रज्ञ जी (मुनि नथमल) ४. स्याद्वाद सिद्धान्त-मनन और मीमांसा श्री रमेश मुनि शास्त्री ५. अन्य दर्शनों में अनेकान्तवाद के तत्त्व श्री सुव्रत मुनि शास्त्री ६. स्याद्वाद डॉ. सत्यदेव मिश्र ७. समन्वय का मार्ग : स्याद्वाद डॉ. अरुणलता जैन ८. सत्य की सर्वाङ्ग साधना श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री ६. तत्त्वज्ञता श्री जिनेन्द्र वर्णी १०. जैन-दर्शन में द्रव्य की अवधारणा श्री कपूरचन्द जैन ११. The Jaina Idea of Universe Prof. M. S. Ranadive १२. Jain Concept of Living Dr. J. D. Bhomaj १३. जैन दर्शन सम्मत आत्मा डॉ. प्रेमचन्द जैन १४. जैन दर्शन में जीव द्रव्य डॉ० श्रेयांस कुमार जैन १५. पुद्गल और आत्मा का सम्बन्ध आचार्य अनन्तप्रसाद जैन १६. जैन कर्म सिद्धान्त : तुलनात्मक विवेचन डॉ० राममूर्ति त्रिपाठी १७. जैन दर्शन में बन्ध और मोक्ष प्रो० अशोक कुमार २८. आचार्य कुन्दकुन्द को संतुलित दृष्टि डॉ० लालबहादुर शास्त्री १६. प्रवचनसार में संसार और मोक्ष का स्वरूप डॉ. रमेशचन्द जैन २०. श्रवणबेलगोला के अभिलेखों में जैन-तत्त्व-चिन्तन श्री जगबीर कौशिक २१. प्रमाणमीमांसा : एक अध्ययन श्री श्रीचन्द चोरडिया २२. योगिप्रत्यक्ष : एक विवेचन डॉ० विद्याधर जोहरापुरकर २३. शब्दाद्वैतवाद : जैन दृष्टि डॉ. लालचन्द जैन २४. आदिपुराण में जैन दर्शन के तत्त्व डॉ० उदयचन्द जैन २५. समन्वय का अमोघ दर्शन : अनेकान्त उपाध्याय श्री अमर मुनि २६. आगम-साहित्य में योग के बीज मुनि श्री राकेशकुमार जी २७. आचार्य कुन्दकुन्द और उनका दार्शनिक अवदान डॉ० प्रभुदयालु अग्निहोत्री २८. भारतीय दर्शन के सन्दर्भ में जैन महाकाव्यों द्वारा विवेचित डॉ० मोहनचन्द मध्यकालीन जैनेतर दार्शनिकबाद २६. Kundakunda on Samkhya-Purusa Dr. Shiv Kumar ३०. Some Less known Verses of Siddhasena Prof. M. A. Dhaky Divakara 39. The Style of Writing for Debate in Sh. Bishan Sarup Rustagi Indian Philosophy ३२. The Ultimate goal of Jain Philosophy Prof. J. L. Shastri ! uuu ० ० rM4mro ur १६६ - १७५ आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन पन्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org's
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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