________________
जिने भक्तिजिने भक्तिजिने भक्तिः सदास्तु मे। सम्यक्त्वमेव संसार-वारणं मोक्ष-कारणम् ।।
श्रते भक्तिः श्रुते भक्तिः श्रुते भक्तिः सदास्तु मे । सज्ज्ञानमेव संसार-वारणं मोक्ष-कारणम् ॥
गुरौ भक्तिर्गरौ भक्तिर्गरौ भक्तिः सदास्तु मे ।। चारित्रमेव संसार-वारणं मोक्ष-कारणम् ।।
आचार्य रत्न श्री १०८ देशभूषण जी महाराज का सारस्वत अभिनन्दन दिगम्बर मुनि-परम्परा का सात्विक कीर्ति-आलेख है। यह व्यष्टि में समष्टि की प्रतिच्छवि है।
आचार्यरत्न श्री देशभूषण जी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org