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आसन्न-मृत्यु प्रायिका कृष्णामती जी को सम्बोधन
शांतिगिरि के अपराजितेश्वर द्वार पर
धर्म का अभय रूप
संघस्थ क्षुल्लिका रत्नभूषण माता जी का
अग्नि को समर्पित पार्थिव शरीर
न जाने नक्षत्रों से कौन, निमन्त्रण देता मुझको मौन !
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