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भगवान् महावीर स्वामी के २५०० वें निर्वाण महोत्सव पर आचार्यश्री द्वारा रचित 'भगवान् महावीर और उनका तत्त्व दर्शन' ग्रन्थ के विमोचन समारोह में तत्कालीन उपराष्ट्रपति महामहिम श्री गोपाल स्वरूप पाठक
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प्रसिद्ध विद्वान एवं राजनैतिज्ञ डा० सम्पूर्णानन्द को आचार्यश्री 'सिरि भूवलय' का महत्त्व समझाते हुए