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जैन इतिहास, कला और संस्कृति
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जे-६ : कायोत्सर्ग मुद्रा वाली वर्द्धमान-प्रतिमा को चौकी-मध्य-स्थित धर्मचक्र के दोनों ओर चक-एक चंबर सहित बैठे हुए तु'दिल यज्ञ तथा खड़े हुए आभूषित उपासक-उपासिकाओं के साथ तीन-तीन बालक । इस पर सिहों व अर्द्धफलकों का नितान्त अभाव है (कुषाण काल सं० २०, कंकाली टोला, मथुरा)
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