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________________ रासोकाव्य धारा आदिकालीन साहित्य की जैन धर्म का प्रवृत्तियों से प्रभावित रहते हुए लौकिक साहित्य अथवा लोकसाहित्य गत प्रवृत्तियों से अपना प्राणतत्त्व ग्रहण करती है । उक्त प्रकार से रास काव्यों में दो स्पष्ट धाराएँ परिलक्षित होती हैं : (i) जैन रास काव्य-धारा (ii) जनेतर रास काव्य-धारा जैन रास काव्यधारा में भी कई भेद किये जा सकते हैं। जैन साहित्य आचार्य शुक्ल के मतानुसार मात्र धार्मिक या सम्प्रदायपरक नहीं है। विशेषकर जैन साहित्य को विविध स्तरों पर रख सकते हैं ताकि हम अपने अध्ययन की दिशा को स्पष्ट कर सकें। इस रूप में जैन कवियों की रासविषयक रचनाओं की गणना उचित होगी जो इस प्रकार है रास रचना रचनाकाल रचयिता १०४३ १. राम रासो २. मुज रास ३. उपदेश रसायन रास ४. बाहुबलि रास ५. कुमारपाल प्रतिबोध रास ६. आब्रास या नेमि जिणन्द रास ७. भरतेश्वर बाहुबलि घोर रास ८. भरतेश्वर बाहुबलि रास ११७१ ११८४ ११८५ (१२४१) १२०९ १२२५ १२३१ समय सुन्दर अज्ञात जिनदत्त सूरि शालिभद्र सूरि सोमप्रभ पाल्हण वज्रसेन सूरि (i) जिनदत्त सूरि (ii) शालिभद्र सूरि (i) जिनदत्त सूरि (ii) शालिभद्र सूरि आसगु ६. बुद्धिराम १२४१ आसगु १०. चन्दन बाला रास ११. जीवदया रास १२. जम्बूस्वामी रास १३. थूलिभद्र रास (स्थूलिभद्र रास) १४. नेमिनाथ रास १२५७ १२५७ १२६६ १२६६ १२७० धर्म सूरि जिनधर्म सूरि (i) सुमति गणि (ii) जिनप्रभ लक्ष्मीतिलक उपाध्याय विजयसेन सूरि सुमति गणि जिनराज सूरि १२७४(१३१३) १२८८ १२६५ १५. शान्ति नाथ देव रास १६. रेवन्त गिरि रास १७. नेमि रास १८. गयसुकुमाल रास १६. गुण सागर रास २०. गुणावली रास गिरिनार रास (जम्बू रास) २२. महावीर रास २३. अन्तरंग रास २१. नामा १३०७ अभयतिलक गणि जिनप्रभ सूरि रचना काल के साथ कोष्ठक में उस नाम की रचना का परवर्ती काल दिखाया गया है। जैन साहित्यानुशीलन १३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012045
Book TitleDeshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR C Gupta
PublisherDeshbhushanji Maharaj Trust
Publication Year1987
Total Pages1766
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size56 MB
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