________________
टीका का नाम टीकाकार का नाम
टोका-प्रन्थ सम्बंधी विवरण ७. जैनेन्द्र प्रक्रिया
पं० वंशीधर
पं० वंशीधर ने २०वीं शताब्दी ई० में इस प्रक्रिया ग्रंय की रचना की है।
इसका केवल पूर्वार्ध ही प्रकाशित हुआ है।' ८. प्रक्रियावतार
नेमिचन्द्र
डॉ० हीरालाल जैन के अनुसार । ६. जैनेन्द्र-लघुवृत्ति
पं० राजकुमार
नेमिचन्द्र ने प्रक्रियावतार तथा पं० राज
कुमार ने जैनेन्द्र-लघु वृत्ति की रचना की। शब्दार्णव-संस्करण (बृहत्-पाठ) को टोकाएँ
शब्दार्णव संस्करण के रचयिता गुणनन्दी हैं । इस संस्करण की दो टीकाएँ उपलब्ध हैं जो सनातन-जैन ग्रन्थमाला में छप चुकी हैं - टीका का नाम टीकाकार का नाम
टीका ग्रंथ सम्बन्धी विवरण १०. शब्दार्णव-चन्द्रिका
सोमदेवसूरि
सोमदेवसूरि ने १३वीं शताब्दी ई० के पूर्वार्ध में इस टीका की रचना की। इसको एक बहुत ही प्राचीन तथा अतिशय जीर्ण प्रति भण्डारकर रिसर्च इन्स्टीट्यूट
में है। ११. शब्दार्णव-प्रक्रिया
पं० युधिष्ठिर मीमांसक के अनुसार "किसी अज्ञातनामा पंडित ने शब्दार्णवचन्द्रिका के आधार पर शब्दार्णव प्रक्रिया ग्रंथ लिखा है। इस प्रक्रिया के प्रकाशक महोदय ने ग्रंथ का नाम जैनेन्द्र-प्रक्रिया
और ग्रन्थ कार का नाम गुणनन्दी लिखा
है, ये दोनों अशुद्ध हैं ।"५ अनुपलब्धटीका-ग्रंथ - टीका का नाम टीकाकार का नाम
टोका-ग्रंथ सम्बन्धी विवरण १२. जैनेन्द्र-न्यास
पूज्यपाद देवनन्दी
दक्षिण प्रान्त के जैन तीर्थ हुम्मच में स्थित पद्मावती मन्दिर के १५३० ई० के शिलालेख (संख्या ६६७) के अनुसार पूज्यपाद देवनन्दी (५ वीं शताब्दी ई.) ने जैनेन्द्रन्यास की रचना की थी। यह न्यास ग्रंथ सम्प्रति अनुपलब्ध है।
१. मीमांसक युधिष्ठिर, सं० व्या० शा० इ०,प्र०भा०, पृ०५८८. २. जैन, हीरालाल, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, भोपाल, १९६२. पृ० १८५. ३. प्रेमी, नाथूराम, जै० सा०६०, पृ० ३८. ४. वही.
मीमांसक, युधिष्टिर, सं० व्या० शा० इ०, प्र० भा०, पृ. ५६१. ६. न्यासं जिनेन्द्र--संजं सकल-बध-नुत पाणिनीयस्य भूयो
न्यासं शम्दावतारं मनुजततिहितं वैद्यशास्त्र' च कृत्वा । यस्तत्त्वार्थस्य टीका व्यरचयदिह ता भात्यसौ पूज्यपादस्वामी भूपाल-वन्ध : स्वपरहितवचः पूर्ण-दग्बोध-वृत्तः। -जैन शिलालेख संग्रह, तृतीय भाग, संग्रहकर्ता-विजयमति, बम्बई, १९५७, १०५१६.
आचार्यरत्न श्री वेशभूषण जी महाराज अभिनन्दन अन्ध,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org