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१३. जन-जन के प्रेरणा स्रोत
श्री नाहटाजी ने स्वयं तो अपनी कर्मठता और अध्यवसाय से अतुलनीय उपलब्धि की ही है पर साथ ही संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों को नानाविध प्रेरणा देकर चिंतन, अध्ययन, लेखन, शोध आदि किसी न किसी विशिष्टकार्य की ओर प्रवृत्त किया है। १४. सरस्वती एवं लक्ष्मी दोनों के लाडले सपत
प्रायः यही देखा-पाया जाता है कि सरस्वती के आराधकों पर लक्ष्मी की कृपा कम ही रहती है एवं लक्ष्मी के उपासकों पर सरस्वती का वरद हस्त कम ही रहता है पर नाहटाजी इसके विरल अपवादी है, आप दोनों देवियों के समान रूप से लाडले सपूत हैं। साहित्य तपस्वी के साथ-साथ कुशल व्यापरी भी हैं। १५ इधर साहित्य सेवियों में आध्यात्मिक साधक विरल ही होते हैं पर नाहटाजी दोनों क्षेत्रों में समान रुचि, गति एवं अधिकार रखते हैं। धर्म और दर्शन भी उनके जीवन-प्राण हैं। प्रातः २-३ बजे से सामायिक स्वाध्याय, भजन-पूजन, व्रत-नियम की आराधना-साधना का प्रवाह चालू होता है। साथ ही साहित्य सेवा भी चलती रहती है। नाहटा जी लेखक के साथ-साथ गंभीर चिन्तक एवं मनीषी हैं । निरन्तर स्वाध्यायशील, अन्वेषक एवं साधक हैं।
ऐसा विरल एवं विलक्षण व्यक्तित्व, बहुमुखी प्रतिभा, अनेकानेक विशेषताओं का सुभग संयोग बहुत ही कम पाया जाता है।
ऐसे साहित्य तपस्वी, आत्मानंदी साधक का अभिनंदन एक गुणपुंज विभूति का अभिनंदन है।
माँ भारती के ऐसे कर्मठ का और देश के ऐसे प्रतिभा-संपन्न विद्वान् का समुचित अवसर पर समुचित अभिनंदन करने का विचार नाहटाजी के सुहृदों, सहयोगियों और प्रेमियों के मन में बहुत समय से उठ रहा था। उनके एकमात्र भान्जे (भगिनी पुत्र) श्री हजारीमल बांठिया ने इस विचार को मूर्त रूप देने का बीड़ा उठाया। उनके प्रयत्न के फलस्वरूप एक तदर्थ समिति बनायी गयी। इस समिति ने अभिनंदनसमारोह की रूपरेखा बनायी। नाहटाजी की षष्टयब्द-पूर्ति की तिथि निकट आ रही थी अतः निश्चय किया गया कि अभिनंदन-समारोह षष्टयब्दपूर्ति की तिथि पर ही मनाया जाय और तभी उन्हें एक अभिनंदन-ग्रंथ भी भेंट किया जाय। समिति के सामने बहुत बड़ी समस्या अर्थ की थी परंतु कर्मठ श्री बांठियाजी ने आवश्यक अर्थ-संग्रह का भार अपने पर लेकर समिति को इस ओर से भी निश्चिन्त कर दिया ।
तदनंतर तदर्थ समिति के स्थान पर भारत के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तत्कालीन सभापति डॉ० श्री दौलतसिंहजी कोठारी की अध्यक्षता में औपचारिक अगरचंद नाहटा अभिनंदनोत्सव-समिति का गठन किया गया जिसके पदाधिकारी इस प्रकार थे
अध्यक्ष डॉ० दौलतसिंह कोठारी उपाध्यक्ष विद्यावाचस्पति पं० विद्याधर शास्त्री मंत्री श्री भंवरलाल कोठारी
आचार्य नरोत्तमदास स्वामी
डॉ० छगन मोहता सहमंत्री श्री मूलचंद पारीक
श्री प्रकाशचंद सेठिया श्री जसकरण सुखाणी
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