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श्री यशपालजी जैन, सस्ता साहित्य मण्डल, दिल्ली
श्री नाहटा जी को मेरी आन्तरिक बधाई दीजिए। उन्होंने अपने साहित्य द्वारा समाज को जो सेवा को है वह निःसन्देह सराहनीय है । मेरी कामना है कि वे दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें, और अपनी लेखनी द्वारा चिरकाल तक समाज की सेवा करें। डा० ज्योतिप्रसाद जी जैन, लखनऊ
नाहट जी हमारी समाज के ही नहीं वरन सम्पूर्ण देश के गौरव हैं और हिन्दी साहित्य जगत के सूर्य हैं । उनका अभिनन्दन करना साक्षात् सरस्वती का अभिनन्दन करना है । पं० हीरालाल जी सिद्धान्तशास्त्री, व्याबर
सरस्वती के बरद पत्रों का सम्मान होना चाहिये। मैं उनके दीर्घजीवी होने की मंगल कामना करता हूँ। डा० कस्तूरचन्दजी कासलीवाल, जयपुर
नाहटा जी देश की विभूति हैं तथा समाज उनसे गौरवान्वित है । डा० जगदीशचन्दजी जैन, व श्रीमती जगदीश जैन, बम्बई
हम आशा करते हैं कि भविष्य में भी आपका जीवन विद्या देवी की साधना में व्यतीत होगा । पं० अमृतलालजी शास्त्री, संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी
नाहटा जी चलती फिरती लाइब्रेरी हैं, साहित्य साधना से उन्होंने समूचे जैन समाज का गौरव बढ़ाया है। श्री अनूपचन्दजी न्यायतीर्थ, जयपुर
नाहटा जी ने अपनी सतत साधना से मां भारती का मस्तिष्क ऊँचा कर राष्ट्र को गौरवान्वित किया है । उनका सम्पूर्ण जीवन साहित्यमय है । प्रो० पृथ्वीराजजी जैन, अम्बाला
विविध क्षेत्रों में उनके कार्यों की गणना तारों की गणना के समान दुःसाध्य है । जैन साहित्य को अनमोल सेवा करते हुए वर्तमान व भावो पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ बने रहें यही प्रार्थना है। पं० मूलचन्दजी शास्त्री, श्रीमहावीरजी
नाहटा जी समाज में अपने बुद्धिजीवियों के प्रति आदर भाव की जागृति बनाने में अग्रदूत बनें । श्री शोभाचन्द जी भारिल्ल, बम्बई
नाहटा जो चिरजीवो हो । श्री दलसुख मालवणिया, अहमदाबाद
इनकी साहित्य के इतिहास की दृष्टि पैनी है और एक एक पत्रों में से इतिहास की बहुमूल्य सामग्री का चयन सैकड़ों लेखों में उन्होंने किया है। डा. राजाराम जैन, एच. डी. जैन कालेज, आरा
श्रद्धेय नाहटा जो साहित्य जगत् के गौरव गुरु हैं। उनमें गुणाढ्य से लेकर चन्दर वरदाई, हयूनात्सांग फाहियान से लेकर वनियर और पाणिनि से लेकर टेसिटरी तक को आत्म शक्तियां समाहित हैं। ३३८ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ
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