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विभीषणने रावणको समझाते हुए कहा
पाणी पहिलो बंधि पालि, रहे जिम पांणी रांमण ।
सोवन लंक कुल पौलसत, जासी जिम संकर जरा । लक्ष्मणके शक्ति प्रहारसे चेतना शून्य होनेपर कथित पंक्तियोंमेंधूजी धरा सेस धड़हड़ियो, पड़ती संध्या लखमण पड़ियो ।
+ राम समरभूमिमें रावणको ललकारते हुए कहते हैं
हँ आयो पग मांडि चोर हव, देखवि कर म्हारा कर दाणव । इस प्रकार माधवदासने राजस्थानीके लोक प्रचलित रूपका भी रामरासोमें अनेकंधा प्रयोग किया है। __ महाकवि माधवदासके गरु. संतति और निधन तिथि अब अनिश्चित नहीं रही है। पर रामरास सभी प्राप्त प्रतियोंमें यह दोहा मिलता है
रासो निज जस रामरस, वदियो निगम बखांण ।
कथितं माधवदास कवि, लिखतं भगत कल्याण ||११३५ 'लिखतं भगत कल्याण' में कल्याण स्पष्टतः ही रामरासोका प्रथम लिपिकार है । यहाँ कल्याण व्यक्ति सूचक है। अतः रासोके अध्ययन-रत विद्वान् कल्याणके विषयमें भी अनुसंधान करेंगे, ऐसी आशा है।
२२८ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ
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