________________
कुछ ऐतिहासिक तथ्योंसे युक्त होर्ती है। राजस्थान से कई प्रशस्तियाँ मिली हैं। वि० सं० ४८० के गंगधारके' लेखमें विष्णु वर्माके मंत्री मयूराक्ष द्वारा विष्णु और मातृकाओंके मन्दिर बनानेका उल्लेख है। विष्णु वर्माका अधिकार दक्षिणी पूर्वी राजस्थान और मदसौर क्षेत्रपर था। इसके पुत्र बन्धुवर्माका लेख सं० ४९३ का मन्दसोरसे मिला है। छोटी सादड़ीसे मिली वि० सं० ५४७की प्रशस्तिमें गौरीवंशी शासकोंका उल्लेख है। इस लेख में भगवान् महापुरुष (विष्णु) के मन्दिरके निर्माणका उल्लेख किया गया है। लेखमें महाराज गोरीके पूर्वज पुण्यसोम, राज्यवर्द्धन, राष्ट्र यशोगुप्त आदिका उल्लेख है। यह औलिकर वंशके शासकोंके आधीन था। खंडेलासे प्राप्त सं० (हर्ष सं०) २०१ के लेखमें धूसरवंशके: दुर्गवर्द्धन उसके पुत्र धंगक आदिका उल्लेख है । लेख में अर्द्धनारीश्वरके मन्दिरके निर्माणका उल्लेख है । बसन्तगढ़ के सं०६८२ के लेखमें बर्मलातके सामन्त बज्रभद्र सत्याश्रयका वर्णन है और लेखमें देवीके मन्दिर में गौष्टियोंकी गतिविधिका उल्लेख है। कुसुमाका ६९३ का छेख, सामोलीका सं० ७०३ का लेख, नागदाका सं० ७१८७ का लेख, नगरका सं० ७४१ का लेख, झालरापाटनका सं० ७४६ का लेख, मानमोरीका ७७० का लेख, कन्सुवाका ७९५ का लेख, शेरगढ़का१२ ८७० का लेख, प्रतिहार 3 राजा बाऊकका सं० ८९४ का लेख, धोलपुरका ४ चण्डमहासेनका लेख सं० ८९८, आहडका सारणेश्वरका लेख५१०१० राजौरगढ़ का१६ सं० १०१६ का लेख, एकलिंग७ मन्दिरका सं० १०२८ का लेख, हर्षपर्वतका८ १०३० का लेख, बीजापुरका सं० १०५३ राष्ट्रकट१९ धवलका लेख, पूर्णपालका२० सं० १०९९ का लेख, बिजोलियाका१ सं० १२२६ का लेख,
१. गुप्ता इस्क्रिप्सन्स पृ० ७४ ।। २ ओझा निबन्ध-संग्रह भाग १ १० ८७-९० । एपिग्राफिआ इंडिका भाग ३० पृ० ११२ । ३. एपिग्राफिआ इंडिका भाग ३४ पृ० १५९ से १६२। ४. उक्त भाग ९ पृ० १९१ । ५. उक्त भाग ३४ पृ० ४७ से ४९ । ६ नागरी प्रचारिणी पत्रिका भाग १ अंक ३५० ३११ से ३२४ । अन्वेषणा भाग अंक २ । ७. एपिग्राफिआ इंडिका भाग ३ पृ० ३१-३२ । ८ भारत कौमुदी प० २७३-७६ ।। ९. इंडियन एटिक्वेरी भाग ५ पृ० १५१ । १०. टॉउ-एनल्स एण्ड एटिक्वीटिज भाग १ पृ० ६१५-६१६ । ११. इंडियन एंटिक्वेरी भाग १९ पृ० ५७ । १२. उक्त भाग १४ पृ० ४५ । . १३. एपिग्राफिया इंडिका १८ पृ० ९५ । १४ इंडियन एन्टिक्वेरी १९ पृ० ३५ । १५. वीर विनोद भाग १ शेष संग्रह । १६. एपिग्राफिआ इंडिका भाग ३ पृ० २६६ । १७. जरनल बम्बई ब्रांच रायल एसियाटिक सोसाइटी भाग २२ पृ० १६६-६७ । १८. एपिग्राफिआ इंडिका भाग २ पृ० ११९ । १९ जैन लेख संग्रह भाग २ (मनि जिनविजय) में प्रकाशित । २०. एपिग्राफिआ इंडिका भाग ९ पृ० १२ । २१. जैन लेख संग्रह भाग ४ (माणिकचन्द्र जैन ग्रन्थमाला) में प्रकाशित । १७
इतिहास और पुरातत्त्व : १२९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org