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मुनि कन्हैयालाल 'कमल' : आगम साहित्य का पर्यालोचन : ८१३
अंग ११, उपांग १२, मूल ४, छेद सूत्र ६, प्रकीर्णक १०, चूलिका सूत्र २. दिगम्बर परम्परा के आचार्य वर्तमान में उक्त ८४ आगमों को विलुप्त मानते हैं. श्वेताम्बर परम्परा के आचार्य उपलब्ध ४५ आगमों के अतिरिक्त शेष आगमों को विलुप्त मानते हैं. स्थानकवासी और तेरहपंथी परम्परा के आचार्य केवल ३२ आगमों को ही प्रामाणिक मानते हैं. इनका माना हुआ क्रम इस प्रकार है: ११ अंग, १२ उपांग, ४ मूल सूत्र, ४ छेदसूत्र. १ आवश्यक योग ३२.
द्वादशांगों के पद सूत्र के जितने अंश से अर्थ का बोध होता है उतना अंश एक पद होता है.' यहां द्वादशांगों के पदों की संख्या समवायांग और नन्दी सूत्र के अनुसार उद्धृत की गई है. शास्त्र का नाम
पदपरिमाण १. आचारांग
१८ हजार २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग
७२ हजार ४. समवायांग
१ लाख ४४ हजार ५. भगवतीसूत्र
२ लाख ८८ हजार ६. ज्ञाताधर्मकथा
५ लाख ७६ हजार ७. उपासकदशा
११ लाख ५२ हजार ८. अन्तकृद्दशा
२३ लाख ४४ हजार ६. अनुत्तरोपपातिक
४६ लाख ८ हजार १०. प्रश्नव्याकरण
६२ लाख १६ हजार ११. विपाकश्रुत
१ करोड़े ८४ लाख ३२ हजार १२. दृष्टिवाद
१. यत्राऽर्थोपलब्धिस्तत्पदम्-नन्दी० टोका २. समवायांग और नन्दो सूत्र के अनुसार आचारांग के दोनों श्रुतस्कन्धों के १८ हजार पद हैं. किन्तु आचारांग नियुक्ति में केवल ।
अध्ययनों के ही १८ हजार पद माने हैं. पिंडैषणा, सप्तसप्ततिका भावना एवं नियुक्ति, इन चार चूलिकाओं के पद मिलाने से पदों की
संख्या बहु (अधिक) होती है, और निशीथ चूलिका के पद मिलाने से बहुतर (अत्यधिक) संख्या होती है. ३. पूर्व अंगों से उत्तर उत्तर अंगों में दुगुने पद होते हैं-'पदपरिमाणं च पूर्वस्मात् अंगात् उत्तरस्मिन् उत्तरस्मिन् अंगे द्विगुणमवसेयम्
नन्दी टीका. सूत्रकृतांगनियुक्ति में भी ऐसा ही उल्लेख है. ४. समवायांग के अनुसार भगवती सूत्र के केवल १८ हजार पद ही हैं. भगवती सूत्र में भी इतने ही पद लिखे हैं. यथा-गा. चुलसीय
सयसहरसा, पयाण पवरवरणागदसीहिं, भावाभावमणंत्ता पन्नता एत्थमंगंमि. संभव है नंदी सूत्र में विस्तृत याचना के पदों की संख्या
का उल्लेख हुआ होगा. ५. ज्ञाता धर्मकथा के ५ लाख ८६ हजार पद हैं, किन्तु समवायांग और नन्दी सूत्र में संख्येय हजार पदों का ही उल्लेख है. ६. उपासकदशा के पदों का परिमाण देखते हुए ऐसा अनुमान होता है कि इतना बड़ा उपासकदशा सूत्र भ० महावीर के पहिले कभी
रहा होगा, क्योंकि नन्दी और समवायांग के अनुसार भ० महावीर के दश प्रमुख श्रावकों का वर्णन तो विद्यमान उपासक दशा में है,
फिर कौन से अन्य श्रावकों का वर्णन इसमें था--जिनके वर्णन में इतने पदों का यह विशाल आगम भ० महावीर के काल में रहा ? ७. विपाकत के १ करोड ८४ लाख ३२ हजार पद हैं किन्तु समवायांग और नन्दी सूत्र में संख्येय लाख पदों का ही उल्लेख है. ८. दृष्टिवाद (१४ पूर्वो) के करोड़ों पद हैं किन्तु समवायांग और नन्दो सूत्र में संख्येय हजार पदों का हो उल्लेख है. यथा-संखेज्जाई
पयसहस्साई पयग्गेणं-सम-नन्दी० मूल.
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dan NaaNNNNNNNNNNNNNNNN