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Jain
(१) सांची के शिलालेखों में सात स्थलों पर तुम्बवन का उल्लेख आया है : (अ) बना गहपतिनो पतिठियस भातु ज ( 1 ) याय धजय दानम्' तुम्बवन के गृहपति पतिठिय ( प्रतिष्ठित ) के भाई की पत्नी धन्या का दान ( श्रा) तुबचना गहपतिनो पतिठिय (सु) न साथ वेसमनदखाए दानम् तुम्वन के गृहपति की पुत्रवधू श्रमणदत्ता का दान
(इ) तुबवना गहपतिनो पतिठियस दानम्
तुम्बवन के गृहपति प्रतिष्ठित का दान (ई) नागपतिनो पतिडियस दानम्*
तुम्बवन के गृहपति प्रतिष्ठित का दान (उ) सुचना गढ़पतिनो पतिरियस दानमू
तुम्बवन के गृहपति प्रतिष्ठित का दान
(ऊ) नंदूत (रस) तो व (पनिकस्स)
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जैनाचार्य विजयेन्द्र सूरीश्वरजी तुम्बवन और शिलालेखों में तुम्बवन
तुम्ब (वन) के निवासी नंदुत्तर (नन्दोत्तर) का (दान)
(ए) वीर एभि खु निया तोबवनिकाय दानम्" तुम्बवन की साध्वी वीरा का दान
(२) तुम्बवन का उल्लेख तुमेन में मिले एक मंदिर के बनवाये जाने का उल्लेख है." उस शिला लेख में आता है :
शिलालेख में भी है. इस शिलालेख में कुमारगुप्त के शासन काल में एक
समानवृत्ता कृति ( भाव धीराः ) ( कृता) लयास्तुम्बवने व (भू) वुः । अकारयंस्ते गिरि (श्रि) ङ्ग तुङ्ग, शशि (प्रभं) देवनि ( वासहम्मर्यम् )। ६
स्थान- निर्णय
जैन-ग्रंथों में स्पष्ट उल्लेख है कि यह तुम्बवन अवंति जनपद में था. अवन्ति के सम्बन्ध में हेमचन्द्राचार्य ने अभिधानचिन्तामणि में लिखा है :
'मालवा स्युरवन्तयः "
२. वही, आलेख- संख्या १७ अ, पृष्ठ ३०१.
३. वही, आलेख संख्या १८, पृष्ठ ३०१. ४. वही, आलेख -संख्या २०, पृष्ठ ३०१. ५. वही, आलेख - संख्या २१, पृष्ठ ३०२. ६. वही, आलेख- संख्या ७६४, पृष्ठ ३७८. ७. वही, आलेख-संख्या ३४६, पृष्ठ ३३५.
८. ग्वालियर राज्य के अभिलेख, पृष्ठ ७३.
१. द मानुमेंट्स आव सांची(सर चार्ल्स मार्शल तथा अल्फ्रेड फाउचर लिखित, विथ टेक्स्ट् आव इंस्क्रिप्शन एडिटेड बाई एन०जी० मजूमदार एम० ए०, आलेख - संख्या १६, पृष्ठ ३०१.
९. सिलेक्ट इंस्क्रिप्शंस, खंड १, दिनेश सरकार-सम्पादित १९४२, पृष्ठ ४६७.
१०. अभिधानचिंतामणि भूमिकांड, श्लोक २२, पृष्ठ ३८१.
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