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मुनि महेन्द्रकुमार : अनेकतत्त्वात्मक वास्तविकतावाद और जैनदर्शन : ४३६ आधार पर कहा जा सकता है कि उन्होंने भौतिक पदार्थों को वस्तुसापेक्ष वास्तविकता के रूप में माना है. साथ ही चेतन तत्व की वास्तविकता को भी वे स्वीकार करते हैं. उन्होंने माना है कि चेतनतत्त्व को भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र और विकासवाद के सिद्धांतों पर नहीं समझाया जा सकता. हाईसन वर्ग यह भी मानते हैं कि 'वास्तविकता' को समझने के लिये हमारी धारणाओं की सूक्ष्म परिभाषायें आवश्यक हैं.२ इनकी विचारधारा को हम आधुनिक प्रत्यक्षवाद (Modern Positivism ) के अन्तर्गत मान सकते हैं. उन्होंने स्वयं आधुनिक प्रत्यक्षवाद की चर्चा में यह कहा है कि ‘पदार्थ अनुभूति' 'अस्तित्व' आदि की समीक्षात्मक परिभाषायें आवश्यक हैं.3 अब जैन-दर्शन के साथ यदि इसकी तुलना की जाये तो कहा जा सकता है कि वैज्ञानिकों की दार्शनिक विचारधाराओं में हाईसन वर्ग की विचारधारा जैन-दर्शन के साथ बहुत सादृश्य रखती है. दोनों ही भूत और चेतन के वास्तविक अस्तित्व को स्वीकार करते हैं. ज्ञाता-ज्ञेय सम्बन्धी हाईसन वर्ग की दार्शनिक विचारधारा का विस्तृत विवेचन नहीं होने से, इतनी समीक्षा प्रर्याप्त मानी जा सकती है. हाईसन वर्ग के अतिरिक्त अन्य वैज्ञानिक भौतिक पदार्थों को और चेतन तत्त्व को भी वास्तविक मानते हैं किन्तु उनकी विचारधारा दर्शन के रूप में उपलब्ध होने से तुलनात्मक समीक्षा नहीं की जा सकती.
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१. फिजिक्स एण्ड फिलोसोफी, पृ० ६५. २. वही पु०८४. ३. वही पृ० ७८.
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