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________________ 诺泰路器器燃张器法器跳跳跳盜器器游路 श्रीमिश्रीमलजी मरुधरकेसरी : समाजरा साचा सपूत : १६६ सूं परो जाइजे, नहीं तो थारा हाडका-हाडका बिखेर देवांला. म्हारे तीर्थ में थारो जैनीयों रो कांइ काम है. माधुजी म० समता राखने नाग पहाड में चलीया गया ने तपस्या ठाय ने बैठ गया. और मन में धारणा कर ली के पुष्करने सर कर ने ही आहार करूंला, नहीं तो जावजीवरा आहार करवारा त्याग है. पूरा दिन २५ नहीं निकलिया ने पुष्कर में जोर सू बेमारी पैदा हो गई ने घणा उत्पात होवण लागा. सारारा होशहवास उड़ गया ने विचार कियो के आ कांइ बात है ? कठे ही असवाडे पसवाडे बेमारी नहीं, बैचेनी नहीं तो अठेईज क्यों है? पत्तो पडतां मालूम हुई के एक जैन रा फक्कड़ ने सतायो ने वो महात्मा नाग पहाड़ में तपस्या तप रयो है. लोग भेला होय ने साधुजी महाराज रे पास गया. वां तपस्या ने ध्यान देख ने घणो अचरज पाया. लोग कहियो कि बाबाजी, आप गांव में पधारो. म्हां पर दया करो. म्हां दुखी हो गया हां. साधुजी कयो-आप आपरा कर्म भूगते हैं, जैन रा साधा ने पुष्कर में कुण आवण दे. लोग कह्यो-बाबाजी, आप पधारो, कोई नहीं रोकेला. साधुजी महाराज कहियो के जीके १०० जणा मणे रोकियो वे आय ने केवे तो चालण में कई हरज नहीं. पाछा सारा जाय ने गांव भेलो कियो ने पूछियो के जैनरा फक्कड़ ने कुण रोकियो है ? सो चौड़े केवो, नहीं तो महात्मा घोर तपस्वी है. धर्म पर मर मिटेला ने आपारां गांव भी बरबाद हो जावेला. जणे वे १०० जणा चौडे हुआ. वाने साथे लेण आया. माफी मंगाइ ने गाव में साधुजी ने लाया. गांव में पधारया ने पारणों करतां ही शांति होय गइ. धणा जीव सुलभ हुआ ने तलाक खा गया के आज पछे कोई धर्म रा महात्मा ने आवता म्हां नहीं वर्जाला. उण दिन सुं दुनियां केवण ने लाग गई के–'सौ साधु ने एक माधू.' एडा महापुरुष हा. वे खेत्र निकाल दियो. आज ताई खैत्र साताकारी है. और भी श्रीनानकरामजी म० रे संप्रदाय में साधु घणा प्रभावशाली हुआ है. (१७) श्राचार्य श्रीस्वामीदासजी म०-श्रीअमरसिंह म० रा भतीजा चेला हा. आप सोजत रा वासी, जातरा रातड़िया मुथा हा. आप बड़ा कड़क हा. जैपुर वाटी, किशनगढ़, रूपनगढ़, सांभर, पर्वतसर आदि गांवा में प्रचार कियो. आपरा सिंघाड़ा में स्वामी श्रीमहकरणजी म० भी प्रसिद्ध हुवा है. पू० श्रीरेखराजजी म० व्याख्यानवाचस्पति हा. कविता घणी सुंदर ही. जोधपुर रा राजकवि मुरारदानजी सं शास्त्रार्थ कर विजय प्राप्त करी ही. स्वा० श्रीनथमलजी महाराज कवि, क्रियापात्र और समयज्ञ पुरुष हा. स्वा० श्रीबखतावरमलजी म० चमत्कारी हा. बंबई जावणरो मार्ग वे सरल कियो. लिपिकार भी चोखा हा. पंडित नामी हा. घणा संवेगी संतों ने पिण ज्ञान पढायो. गोड़वाड प्रांत में आप रो जोरदार धाको जमीयोडो हो, पिण हा घणा सरल और सेवाभावी. ऐ धर्म ने दीपायो ने आछी गति प्राप्त करी. (१८) पूज्य श्रीशीतलदासजी म०-और तेजसिंहजी म० दोनों गुरुभ्राता हा. बड़ा सरल और पुण्यवान पुरुष हा. आपरा सिंघाड़ा में श्रीदौडजीस्वामी तथा प्रतापमलजी म० प्रभावशाली हुआ ने आत्मा-रो कल्याण कियो. (१६) पूज्य श्रीनरसिंहजी म०–मेवाड़ में प्रचार जबरो कियो. सैकड़ों गांवों में धर्म री जड़ रोप दी. आपरा सिंघाड़ा में पूज्य श्रीमानमलजी म० बड़ा काकडाभूत तपस्वी हुआ. मणिभद्रजी यक्ष आपरी सेवा में रेतो हो. राणाजी आपरा पूर्ण भक्त हा ने मेवाड़ का घणा सरदार, देलवाड़े रावजी, देवगढ़ रावजी, आदि सोला सरदार सेवा में हाजिर रहता हा. धणी बार सैकड़ों बकरां ने कुडकी घलाई. आपरा शरीर रो अग्नि-संस्कार हुवो जरे एक चादर, मुहपती ने पूजणीरे अग्नि सुं आल नहीं आइ. लोगां पर घणो प्रभाव पडयो. मेवाड़ में मान बाबाजी री केई लोग आण दिरावण ने लाग गया. आपरा सिंघाड़ा में तपस्वी बेणीदासजी महाराज ५० वर्ष अन्न नहीं लियो. घोर तपस्वी हा, अभिग्रह भी आप घणा आकरा किया के हाथी कंदोई री दुकान सुं लाडु लेने वहरावे तो पारणो करणो. उदेपुर में अभिग्रह फलियो. और भी घणा अभिग्रह किया. पंडित बालकिसनजी मुनि महाराज भी नामी हुआ. पिण छोटी उमर में काल कर गया. कवि ऋषभदासजी पिण ग्रन्थ केइ बणाया है. पूज्य एकलिंगदासजी म० भी घणा सरल पुरुष आपरी साधना सफल करी. (२०) पूज्य श्रीमनोहरदासजी म०-जमनापार रा क्षेत्र सुधारिया. घणो उपकार कियो. आपरा सिंघाड़ामें श्रीरत्नचंदजी म० पिण चमत्कारी पुरुष हुआ. हजारों अग्रवालों ने तथा पल्लिवाला ने जैन बणाया. आगरा में आपरो घणो प्रभाव हो और आज पिण उन्होंरी पुण्य तिथि मनावे ने आपरे नाम पर जैनरत्नमुनि कोलेज हाई स्कूल आदि चाले है. पूज्य SITAMI NENTALIMITALITIATTARAITITIATRINAMUNICIPALIENTI NAMMmALIAMIN -P VPanelar INMIKISA UmundranRIKAANNAY Jain Education SUJorg
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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