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लेखक परिचय: १०७
श्री रतनलाल संघवी-संघवी जी छोटी सादड़ी (राज.) के निवासी हैं। सोलह वर्ष की उम्र से ही अध्यापन कार्य में निरत हैं। जैनपत्र-पत्रिकाओं में समीक्षात्मक तथा मीमांसात्मक शैली पर जैन दर्शन तथा अन्य विषयों पर लिखते रहते हैं। 'जैनागम सूक्ति सुधा' तथा प्राकृत व्याकरण की हिन्दी में बृहद् व्याख्या आपकी उल्लेखनीय रचनाएँ हैं । 'अनेकान्त' में आपकी साहित्यिक एवं ऐतिहासिक लेखमाला प्रकाशित हो चुकी है ।
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श्री रमेश उपाध्याय-राजस्थान के उदीयमान साहित्यकार हैं। आपकी भाषा प्रांजल और भावों की अभिव्यक्ति प्रभावपूर्ण होती है।
श्री राजाराम जैन-आप जबलपुर के निवासी नवोदित साहित्यकार हैं । अभी-अभी आपने डाक्टरेट किया है। आरा-कालेज में अध्यापक हैं। अपभ्रंश भाषा के विशेषज्ञ विद्वान् हैं।
कुमारी रूथ एम. वेल-कुमारी बैल का विशेष परिचय उपलब्ध नहीं है। इस ग्रन्थ में प्रकाशित निबन्ध से ही जाना जा सकता है कि आप पाश्चात्य होकर भी भारतीय साहित्य और संस्कृति में गहरी रुचि रखती है। आप डा० ईश्वरचन्द्र शर्मा की शिष्या हैं।
श्री रूपेन्द्रकुमार पगारिया-जन्मस्थान-खरवंडी (महाराष्ट्र) । आप इस समय ला० द. भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर अहमदाबाद में सहायक संशोधक हैं । संस्कृत, प्राकृत, पाली आदि भाषाओं के तथा दर्शनशास्त्र के अभ्यासी हैं।
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