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लेखक परिचय : १०५
पं० के० भुजबली शास्त्री-श्री भूजबलीजी कन्नड़ भाषाभाषी हैं. जन्म दक्षिण भारत के कर्णाटक प्रान्त में हुआ परन्तु कर्मक्षेत्र बिहार रहा है. आप संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, कन्नड़ एवं अंग्रेजी भाषाओं के विज्ञ हैं. पूर्वोक्त सभी भाषाओं में शताधिक शोधपूर्ण निबन्ध लिखे हैं. आपने संस्कृत के सुप्रसिद्ध मुनिसुव्रतमहाकाव्य, भुजबलीचरितम्, चित्रसेन-पद्मावती चरितम् एवं भव्यानन्द जैसी पाण्डुलिपियों का संशोधन, संपादन और हिन्दी अनुवाद किया है.
__ कन्नड़ प्रान्तीय ताड़पत्रीय ग्रंथसूचि एवं प्रशस्तिसंग्रह आप की अनुसन्धानपूर्ण शोध-कृतियाँ हैं. आदर्श जैन महिलेयरू, आदर्श जैन वीररू, आदर्श साहितिशन्नु, जैन वाङ्मय, जैनर दैनिक षट्कर्म, जैनदर्शन, निबन्धसंग्रह, महावीरवाणी, समवसरण, आदि कन्नड़ भाषा सम्बन्धी आप की कई रचनायें प्रकाशित हुई हैं. आप की सृजनशील, मौलिक प्रतिभा द्वारा हिन्दी में 'जैन प्राकृत वाङ्मय' जैसे शोधपूर्ण गम्भीर निबन्ध भी प्रस्तुत किये गये हैं.
__ शरणसाहित्य [कन्नड़ मासिक], वीरवाणी [कन्नड़ मासिक], विवेकाभ्युदय [कन्नड़ मासिक], जैनसिद्धान्त-भास्कर [हिन्दी त्रैमासिक] तथा जैन एन्टि क्वेरी [अंग्रेजी त्रैमासिक] इन पत्रों के सम्पादकमण्डल में रहकर, इनका सम्पादनकार्य भी सुचारु रूप से किया है. इस समय भी 'गुरुदेव' [कन्नड़ मासिक का सम्पादन कर रहे हैं.
___ आप की 'जैन वाङ्मय' नामक रचना को मैसूर सरकार ने बहुमानित किया है. आप के 'वीर बंकेय' नामक प्रबन्ध को मैसूर सरकार ने एवं 'मूडबिद्री' नामक निबन्ध को केरल सरकार ने अपने पाठय-ग्रंथों में स्थान दिया है. दक्षिण भारत के जैन आचार्य, जैन राजकुमार और जैन राजवंशों
का इतिहास आप के द्वारा प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत किया गया है. श्रीभुवनेश्वरनाथ 'माधव' -बिहार में आप का जन्म हुआ, हिन्दू वि० वि० काशी से अंग्रेजी तथा हिन्दी में एम० ए० किया और बिहार वि० वि० से पी-एच० डी०. सन्त साहित्य, मीरा की प्रेमसाधना, धूपदीप, पूजा के फूल, हँसता जीवन, मेरे जनम-मरण के साथी, रामभक्ति में मधुर उपासना, श्रीअरविन्दचरितामृत आदि रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं. भविष्य, चाँद, सनातनधर्म, कल्याण एवं कल्याणकल्पतरु के सम्पादक रह चुके हैं. इस समय बिहार राष्ट्रभाषापरिषद् (बिहार सरकार) के निदेशक हैं.
___ श्रीभंवरलाल नाहटा-जन्मस्थान बीकानेर [राज०] व्यवसायी परिवार में जन्म लेकर भी आप राजस्थानी और जैनसाहित्य की प्रशंसनीय सेवा कर रहे हैं. सती मृगावती, राजगृह, युगप्रधान जिनचन्द्रसूरि आदि आप के द्वारा लिखित अनेक ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं. ऐतिहासिक जैन काव्यसंग्रह, ठक्कुर फेरू ग्रंथावली, हमीरायण, कृति कुसुमांजलि, रासपंचक आदि आपके सम्पादन हैं. आप सुप्रसिद्ध साहित्यसेवी श्रीअगरचन्द नाहटा के भ्रातृज एवं सहयोगी हैं.
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