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सुन्दर व अनोखा आयोजन रहा।
जवाली निवासी शा गेनमलजी सोनीमलिया के आत्मश्रेयार्थ शा. वस्तीमलजी गेनमलजी की ओर से भादवा सुदी १२ रविवार को श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का विराट आयोजन किया गया। श्री आदर्श मण्डल की भक्ति धुनों से भक्त गण झुम उठे। राजस्थान के वित्त एवं न्याय मंत्री श्री शांतिलालजी चपडोद भी महापूजन में भाग लेने हेतू पधारे। उस अवसर पर श्री लोकेन्द्र विजयजी म.सा. ने कहा कि भक्ति ही एक ऐसा साधन है कि जहाँ व्यक्ति सम्प्रदाय की संकुचित प्रवृतियों से मुक्त होकर सर्वांगीण समर्पित भाव से परमात्म चरणों में अर्पित हो जाता है। जहाँ जातिगत साम्प्रदायिक आत्माओं का दुराग्रह का नाम शेष भी नहीं रहता है।
जैन समाज के अग्रगण्य श्री किशोरमलजी वर्धन ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जब से मुनि द्रय मोहनखेडा तीर्थ भूमि से विहार कर महाराष्ट्र में पधारे तबसे आपने अपने तपोबल
और ज्ञानबल से समग्र महाराष्ट्र प्रदेश में धर्म क्रांति का शंखनाद गुंजायमान कर दिया युवा मुनि द्रय की यह महापूजन की सौरभ चमत्कार और अचिन्त्य महिमा से आत्मप्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि पूज्य मुनि द्वय की निश्रा में सहज संयोग से इस महापूजन में आने का एक पुण्य एवं श्वर्णीम अवसर प्राप्त हुआ।
श्री तीलोकचन्दजी और कुन्दनमलजी की ओर से भाव भीना स्वागत किया गया। यह महापूजन अनवरत ८ घंटे तक चलती रही राजस्थान भवन का विशाल प्रांगण कुछ समय के लिये छोटा पड़ गया। ५ हजार से भी अधिक जन संख्या ने इस अतिशय महिमावंत महापूजन में श्रद्धान्वित भक्त गणों ने भाग लिया।
अनेक विध आयोजनों समारोहो स्वामीवात्सल्य धर्म द्वय में अप्रत्याशित अभिवृद्धि संघ पूजा आदि अनेकानेक कार्यक्रमों से गोरेगाँव का ऐतिहासिक चातुर्मास गौरव पूर्ण इतिहास को संजोए लिये पूर्णता की ओर अग्रसर हो रहा है।
चातुर्मास के दौरान तपस्वी रत्ना साध्वी श्री हेमप्रभा श्रीजी, साध्वी श्री अनुभवदृष्टा श्री जी ने धर्मचक्र तप किया। जिन शासन का उत्कृष्ट तप श्रेणी तप की तपश्चर्या साध्वी श्री दर्शनरेखाश्रीजी म.सा. ने की। इस अवसर पर अष्ठान्हिका महोत्सव का आयोजन शा. तिलोकचन्दजी धरमाजी की ओर से किया गया। कार्तिक वद १ दिनांक ५-१०-९० को गाजे बाजे के साथ अष्ठान्हिका महोत्सव के आयोजक के घर पर साध्वीजी के पारणे का लाभ दिया गया। कार्तिक वदी ३ रविवार ७-१०-९० को श्री पुखराजजी वालचन्दजी एवं श्री चम्पकलालजी श्री लालजी सेवाडी की तरफ से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का विराट आयोजन किया गया। पूरे मण्डप को लाल वस्त्रों से सजाकर विद्युत सजावट की गई थी।
गोरेगाँव चातुर्मास के दौरान अनेक धार्मिक आयोजन हुए है। परन्तु इसी के साथ एक सामाजिक रचनात्मक कार्य के रुप में श्री पार्श्वपदमावती साधर्मिक फाउन्डेशन की स्थापना करने का निर्णय लिया गया। पूज्य मुनिद्वय, मानव मात्र के लिए कारुण्य और वात्सल्य का भाव रखते है। इसी कारुण्य भावना से प्रेरित होकर मध्यम वर्गीय समाज की सहायता हेतु संस्था के माध्यम से असाध्य बिमारी से पीडित, किडनी, कैन्सर और विधवा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु योजना को साकार रुप देने हेतु कार्तिक शुक्ला ९ रविवार २८ अक्टुम्बर को श्री संघ गोरेगाँव द्वारा आयोजित श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन के दौरान श्री पार्श्व पद्मावती साधर्मिक
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अकार्य में जीवन बिताना गुणी और ज्ञानी जन का किंचित भी लक्षण नहीं।
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