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शुभकामना आत्मिक प्रसन्नता के साथ लिख रहा हूँ की आज का दिन स्वर्णिम प्रकाश
फैलाता हुआ उदित हुआ है कि आज आप पूज्य श्री को "कोंकण केशरी' पद से विभुषित किया जा रहा है। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई है।
जिनेश्वर प्रभु से पार्थना करते हैं कि आप शुभकार्य कर धर्म रुपी सुगन्ध चारों दिशाओं में फैलाते रहें। और अज्ञान रूप अंधकार में परिभ्रमण करते हुए प्राणियों को ज्ञान रुप प्रकाश की किरण से प्रकाशित करते रहे। यही हमारी मंगल कामना है। "कोंकण केशरी' पद समारोह का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है उसके लिए शत् शत् अभिनन्दन
रमनभाई के. सोलंकी
पूना (महा.) ।
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मुझे यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि परम श्रदेय पूज्य मुनिराज श्री लक्ष्मणविजयजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री लेवेन्द्र शेखर विजयजी म.सा. के "कोंकण केशरी' पदालंकृत के उपलक्ष्य में अभिनन्दन वान्थ का प्रकाशन किया जा रहा है।
समय जैन समाज भलि भाँति आप श्री के बहुआयामी व्यक्तित्व से परिचित है। आपने सदैव राजस्थान, मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत में जो जिनशासन की सेवा की है। वह अमिट है। ग्रन्थ प्रकाशन पर मेरी हार्दिक शुभ कामना।
रायचन्द मनोहरमलजी मेहता
भीनमाल (राज.)
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•विवाह के बाद का आदर्श मात्र असंयम की मर्यादा नही है। इस का शुभ और मंगलदायी फल तो उत्तम संतत्ती द्वारा मानव रुपी बेल को
सजीव रखना।
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संसार में ददि कोई किसी के साथ अन्याय करता है, तब वह इतना अंधा हो जाता है कि अपने आपको अन्यायी होते २७
हुए भी कदापि अन्यायी नहीं मानता।
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