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शुभ कामनाएँ
यह जानकर अति प्रसन्नता हो रही है कि आगामी २४ दिसम्बर ९० को मेघावी पुरुष पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. को "कोंकण
केशरी' पद से विभुषित किया जा रहा है। यह जैन समाज के लिए गर्व की बात है।
आपने अपना सम्पूर्ण जीवन जिन-शासन को समर्पित कर, जैन समाज को नई दिशा दी है। आपकी यह जिन शासन प्रभावना सराहनीय तो है ही, साथ ही चिरकाल तक स्मर्णिय रहेगा।
वीतराग प्रभु से यही आन्तरिक अभ्यर्थना है कि आप निरन्तर अक्षुण्ण रुप से नन्दादीप की भाँति समाज को नई रोशनी, नई दिशा प्रदान करें।
राजस्थान जैन संघ जी. आर. भण्डारी, अजमेर
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विलक्षण प्रतिभा के धनी प. पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. एवं पूज्य लोकेन्द्रविजयजी म.सा. ने जब से महाराष्ट्र की भूमि को पावन बनाया है, तभी से कोंकण की धरती पर अनेकविध धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। आपकी निश्रा में हमारे जैन संगीत मण्डलने अनेक श्री पार्श्वपद्मावती महापूजनों में गीत संगीत कार्यक्रम पेश किये है। हमारा यह एक अनुठा अनुभव रहा है कि पूज्य श्री जब इस महापूजन में बैठ जाते हैं फिर वे इस महापूजन में खो जाते हैं। और अंतिम पूर्णाहुति तक वे एक ही आसन धारण किये रहते हैं। सैकड़ों गुरु भक्त मंत्र लय की बब्दता में एकाकार हो जाते हैं। यह भी एक सत्य घटना है कि जब मां का भक्तिभाव प्रबल हो जाता है, तब मां एक पवन के रूप में साक्षात् पधार गयी हो ऐसा प्रतीत होता है। यह हमने एक नहीं, अनेक महापूजनों में अनुभव किया है।
मोहना कल्याण में पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी म.सा. को "कोंकण केशरी' पद से विभुषित कर समस्त कोंकण प्रदेश की जनता आज कृतज्ञता का अनुभव कर रही है। "कोंकण केशरी' पद प्रदान के उपलक्ष्य में अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन भी एक अभिनंदनिय कदम है। अभिनन्दन ग्रन्थ युगों युगों तक धर्म यात्रा की जीवंतता एवं जैन दर्शन पर आधारित है। विविध लेख भी नविन आदर्श को प्रस्तुत करेंगे। अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन पर हमारी ओर से हार्दिक शुभ कामनाएँ
जैन युवक संगीत मंडल लोनावला (पूर्ण) महा.
नयन, यह अंतर के भाव बताने वाला दर्पण हैं। चाहे जितना लुचा या कुटिल मानव धर्मात्मा बनने का ढोंग करें फिर १९ Jain Education Intemational भी उसके अंतर का प्रतिबिम्ब उसकी आँख में झलकता ही रहता हैं।
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