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Mmmenw[४७]
४८.
चन्द्र
सांतु
लाखु
दुघड
क्रम संख्या गोत्र का नाम
शेठ का नाम क्रम संख्या
गोत्र का नाम
शेठ का नाम ३३. कामरू सहदेव
जालंधर
दोउ ३४. मोमान कर्मण
तक्षक
मुज मांका ५०.
खाजिल वटर प्रादित्य ५१.
वायन बोहिल हरखा
सारधर राजल विष्णु ५३.
धीरध
वघा स्वस्तिक देपा ५४.
आत्रेय
श्रीपाल अमृत चंड ५५.
ग्राहट
मोका चामिला नाना
ककर्ष
गोना कौशिक
५७. बेबायन
सहसा बटुल ममच ५८.
भीम नागड मोला
दीर्घायण
हापा जायण सीपा
तोतिल डोउ नथु ६१. बदुसर
धरण जलिधर हाथी ६२.
वावक तदुपरांत प्राचार्य उदयप्रभसूरिजीने प्राग्वर ब्राह्मण जातिके आठ शेठोंको प्रतिबोध देकर वि. सं. ७९५ की फाल्गुन शुक्ला दूजको जैन बनाये जिनके नाम व गोत्र निम्नप्रकार हैं :
हरदेव
कुमड
५
रंग
गोविंद
अनु
क्रम संख्या गोत्र का नाम शेठ का नाम क्रम संख्या गोत्र का नाम
शेठ का नाम काश्यप नरसिंह पारायण.
नाना पुष्पायन माधव ६.
कारिस
नागड आग्नेय जूना ७.
वैश्यक
रायमल्ल वच्छल माणिक ८.
माढर इस प्रकार भीनमाल के कुल ७० करोड़पति ब्राह्मण सेठों ने अपने राजा का अनुसरण कर जैनधर्म अंगीकार किया। उस काल में इस नगर की प्रजा बहुत ही सुखसमृद्धि संपन्न थी एवं राजा भी बड़ा पराक्रमी, धर्मपरायण एवं न्यायी था। यह क्रम ३१६ वर्ष तक चलता रहा। वि. सं. ११११ में बोड़ी मुगल एक मुसलमान राजा ने लूटपाट करने के उद्देश्य से भीनमाल पर चढ़ाई की तथा खूब धन लूट कर वह अपने देश ले गया । मुगल राजा के अत्याचार से भयभीत होकर अनेकों लोग नगर छोड़ कर भाग गये। अधिकांश लोग पड़ोसी राज्य गुजरात में जा बसे। कहते हैं कि वल्लभी से सभ्यता एवं सम्पन्नता भीनमाल में पाई और भीनमाल से वह गुजरात में जा टिकी । सामाजिक रीतिरिवाज, रहन-सहन का ढंग अाज भी भीनमाल व गुजरात का करीब-करीब संमान पाया जाता है।
એ આર્ય કથાઘૉમસ્મૃતિગ્રંથ વિર છે
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