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मंवरलाल नाहटा
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तिहां वहिल थंभाणी चाल नहीं, हवं सेठ हुयो दिलगीर रे ।सा। मुझ पास नयी कोई दोकड़ा, कुण जाणे पराई पीड़ रे ।सा०।।४।। तिहां रात पड़ी रवी प्राथम्यो, चिंतातुर थइनि सूतो रे ।सा०। तव जख्य प्रावी ने इम कहै, सोहणा मांहि एकंतो रे ।सा०।।५।। हवे सांभल मेघा हुं कहुँ, इहा वास जे गोड़ीपुर गाम रे ।सा। माहरो देरासर करजे इहां, उत्तम जोइ कोइ ठाम रे ।सा०॥६॥ तु जाजे रे दक्षण दस भणी, तिहां पङ्य छै नील छांण रे ।सा। तिहां कुप्रो उमटसी पाणी तरणो, परगटसै पाहाणरी खाण रे ।सा०॥७॥ पासै ऋग्यो छ उज्वल आकडो ते हेठल छै धन बहलो रे ।सा। तिहां पूरयो छै चोखा तणो साथीयो, वली पाणी तणो कुयो पहोलो रे ।सा ।।८।।
। ढाल-८ सीता तो रूपे रूड़ी, एहनी देशी सीलावट सीरोही गामैं तिहां रहै छै चतुर छै कामै हो ।सेठजी सामलो। रोग छ तेह नै शरीरे, नमणु करी ने छांटो नीरे हो ।से०।।१।। रोग जास्यै नै सुख थास्यै, बैठो इहां काम कमास्यै हो ।से। जोतिक निमत्त जोराव, देरासर पायो मंडावै हो ।से०।।२।। जख्य गयो इम कही नै, करो उद्यम सेठ जी वही ने ।से। सिलावट्ट नै तेड़ाव, वली धन नी खाण खणावै हो ।से०।।३।। गोड़ीपुर गाम वसावै, सगा साजन नै तेड़ावै हो ।से।" इम करतां बहु वीता, थया मेघो जगत्र वदीता हो ।से०।।४।। एक दन काजलसा प्रावी, कहै मेघा नै वात बनावी हो ।से। ए कामैं भाग अमारो, अर्ध मारों अर्ध तमारो हो ।से०॥५॥ ईम करी देरासर करीय, जिम जग में जस वरीय हो ।से। तब मेघो कहै तेहन, दाम जोइ छै केहनै हो ।से०॥६॥ सांमीजी सुपसाय, घणा दाम छै वली इहाइहो ।से। एक दिन कहिता तुमे प्रांम, ए पथर छै कुरण काम हो ।से०॥७॥ क्रोध वसे पाछो वलीयो, आपण मांदर मां भलीयो हो ।से। सा काजल मनचित, मारू मेघो तो थाऊ नचितौ हो ।से०॥८॥
ढाल कोइलो परबत धूधलो रे लाल परणावु पुत्री माहरी रे लाल, खरचू द्रव्य अपार रे ।चतुरनर। न्यात जीमाडु पापणी रे लाल, तेडी मेघो तिणवार रे ।च०।।१।। सांभलजो श्रोता जनां रे लाल मांकरणी॥ जो मेघो मारु सही रे लाल, तो मुझ उपजै करार रे ।च०।
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