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श्री रामनारायण उपाध्याय
जिसके बाद महाभारत-काल में भी युधिष्ठिर के द्वारा आयोजित राजसूय-यज्ञ की सफलता के लिये भीमसेन द्वारा विजित देशों के वर्णन में चेदीवंश के राजा शिशुपाल की राजधानी 'माहिष्मती' में ही होना पाया जाता है। इसी सम्बन्ध में श्री डा. वासुदेवशरण अग्रवाल ने लिखा है--'अनेकों देशों को जीतने के बाद भीम ने चेदी के राजा शिशुपाल की ओर मुंह मोड़ा जिसे वंश में लाने के लिये युधिष्ठिर की विशेष प्राज्ञा थी। चेदी जनपद नर्मदा के किनारे फैला हुआ था और माहिष्मती उसकी राजधानी थी।
महाभारत के नलोपाख्यान में जूये में हारे हये निषध राजा नल द्वारा दमयन्ती के साथ वन में पहंचने पर नल ने दमयन्ती को अपने मैके जाने का आग्रह करते हये जो तीन मार्ग बताये थे, उसमें से एक निमाड़ में से होकर गया था। वे ही तीनों मार्ग आज भी भारतीय रेलपथ ने लिये हैं। ८
महाभारत के पश्चात् परीक्षित भारतवर्ष के सम्राट बने । उनके समय से ही कलियुग का प्रारम्भ होना पाया जाता है । उसके बाद जनमेजय ने राज्य लिया। इस समय अवन्ति के राज्य में मालवा, निमाड़ तथा मध्य प्रदेश के लगे हुये हिस्से मिले थे । अवन्ति राज्य पर अभी हैहयवंशी लोग राज्य कर रहे थे ।
____बौद्ध-ग्रन्थ अगुतर निकाय, जैन-ग्रन्थ भगवती सूत्र या व्याख्या प्रज्ञप्ति तथा अन्य ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि ईस्वी पूर्व ६०० के लगभग उत्तर भारत में सोलह महाजन पद राज्य स्थापित थे। जिनमें मगध, कौशल और अवन्ति, दूसरों की अपेक्षा अधिक सुसंगठित एवं शक्तिशाली थे । मध्य प्रदेश का कुछ हिस्सा अवन्ति महाजनपद के अन्तर्गत था। जिसकी राजधानी 'माहिष्मती' थी।
लेखों और शिलालेखों के आधार पर ईसा की पहली और दूसरी सदी से जिस जनपद का 'अनूप' नाम पाया जाता है, ईस्वी सन् १२४ में गौतमी पुत्र सतकर्णी ने नहपाना नामक नरेश से जो प्रदेश अपने
में लिया, उसमें अंकारा (पूर्वी मालवा) और अवन्ति (पश्चिमी मालवा) के साथ अनूप (निमाड़) का भी उल्लेख है।
इससे भी पहले कण्व और सुग के राज्य को नष्ट करके आन्ध्र के राजा सियुवत सतवाहन ने मालवा और निमाड में अपना राज्य स्थापित कर लिया था और उसका पराभव कनिष्क के कुशल साम्राज्य के प्रतिनिधि महाक्षेत्र से रुद्रदमन ने किया था। इस इतिहास का उल्लेख गिरनार के ईस्वी सन् १५० में जिस शिलालेख में हुआ है, उसमें भी इस प्रदेश का नाम 'अनूप' दिया गया है। १०
मुगल काल में भी निमाड की एक स्वतन्त्र राज्य के रूप में प्रतिष्ठा थी। इस सम्बन्ध में श्री प्रयागदत्त शुक्ल ने लिखा है-'तुगलक वंश के समय मुसलमानी भारत कई स्वतन्त्र राज्यों में विभक्त हो गया था। इन प्रान्तीय राज्यों में निमाड़ भी एक था११ इस तरह सुदूर प्राचीनकाल से निमाड़ और निमाड़ी का स्वतन्त्र अस्तित्व सिद्ध होता है ।
७---श्री डा. वासुदेव शरण अग्रवाल (भारत सावित्री पृ० १३६ ) ८--श्री डा. वासुदेव शरण अग्रवाल (भारत सावित्री पृ० २१६) E--श्री बालचन्द्र जैन (शुक्ल अभिनन्दन ग्रन्थ) पृ० १० । १०-श्री सत्यदेव विद्यालंकार (मध्य भारत जनपदीय अभिनन्दन ग्रन्थ) पृष्ठ ७७ ११.-श्री प्रयागदत्त शुक्ल (शुक्ल अभिनन्दन ग्रन्थ पृष्ठ ७१) ।
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