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श्री उदयसिंह भटनागर
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कूट राज० कूड़ छल ), कुरणार, गण, नाना, पुष्प, पुष्कर, पूजन, फल, बिल ( छेद, छेदना, दो टुकड़े करना, देखो - ऊपर राज० वेरणो, ( - वो) = चीरना), बीज, रात्रि, सायम्, श्रटवी, आडम्बर, खड्ग, तन्डुल ( राज० ताँदरया), मटची (प्रोला), वलक्ष ( चन्द्रमा), वल्ली ( साल का पेड़ देखो - राज० वल्ली, वलेंडी) ३५ ।
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कुछ अवशेषों से ज्ञात होता है कि राजस्थान पर भी आग्नेय (Austric) कोल - मुन्डा जातियों का प्रभाव रहा है । राजस्थान के मध्य में भीलवाड़ा भीलों की उत्तर पूर्वी सीमा का द्योतक है । इसी के आस पास अनेक ला अन्त वाले नामों की ग्रामीण बस्तियाँ हैं । यहीं से खेराड़ क्षेत्र की सीमा लगती है जहाँ को एक प्राचीन मीणा जाति बहुत प्रसिद्ध है । इसी प्रकार दक्षिण भीली प्रदेश में खैरवाड़ा ग्राम इनको दक्षिणी सीमा रही होगी । इससे ज्ञात होता है कि किसी समय भीलों और मुन्डों की अलग अलग सीमाएं स्थापित हो गई होगी। खैराड़ी बोली की भी अपनी अलग विशेषताएं हैं । ३६ राजस्थानी की अनेक पिछड़ी जातियों में भील भोमिया, कोली, प्रोड़ आदि जातियाँ हैं जो सम्भवतः आग्नेय परिवार की हैं । इनमें आज भी बीस तक गिनने की प्रथा है और बीस की संख्या के लिये 'कौड़ी' शब्द का प्रयोग किया जाता है । भीलों द्वारा वृक्षों में प्रेतात्मा का श्रारोप और उसकी पूजा सम्भवतः आग्नेय मील मिश्रण का संकेत है 1 खैराड़ की मीणा जाति का सम्बन्ध भी सम्भवतः श्राग्नेय से होगा । भीलों को ग्राग्नेय परिवार से विकसित मानने में सबसे बड़ी भाषा सम्बन्धी कठिनाई यह है कि श्राग्नेय परिवार की भाषाएं सर्व-प्रत्यय- प्रधान हैं, अर्थात् उनमें पुर- प्रत्यय, पर-प्रत्यय और अन्तर प्रत्यय के द्वारा प्रधान रूप से वाक्य रचना होती है और उनके संयोग से व्याकरणिक सम्बन्ध सूचित किया जाता है ।
३४ - (१) कपट वात कूडी केलवी (६५) की कूड बादल्ल (५६१ )
पदमरिण उपई (१६४५)
( २ ) राजस्थान से जो बंजारे मध्य युग में व्यापार लेकर योरप गये वे जिप्सी कहलाये । उनकी भाषा में अब भी राजस्थानी तत्व वर्त्तमान है । इंगलैंड के जिप्सियों की भाषा में इस 'कूड' शब्द का प्रयोग देखिये :
Dui Romani chals
Were bitcheni
Pawdle the bori pani
Plato for Koring
Lacho for choring
The purse of a great lady
३५- 'लोकवार्ता' - दिसम्बर १९४४ पृ० १४७ - १४६ - सु० कु० चा० 'द्रविड़' |
३६ - खराड़ी की विशेषता और उसके व्याकरण के लिये देखो - मेकेलिस्टर कृत 'जयपुरी डायलेक्टस् पृ० ५२ तथा १२६ ।
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दुइ रोमनी छैला
थे भेजाने (= भेजे गये थे )
पल्ले बड़े पानी (= पब्ले पार नदी के ) प्लाटो कूड़ने को ( Koring=कूडना
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लच्छो चोरने को
किसी बड़ी स्त्री का पर्स ।
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