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मनमौजी भोला सा बचपन । कितना सहज मधुर मन भावन ॥
८ वर्षीय बाल्यावस्था में पिताश्री ने बड़े प्यार दुलार से तारा सुलमा जड़ी टोपी पहनाकर सज्जनकंवर को गब्जी नाम से
पुकारा था ।
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अखण्ड सौभाग्यवती श्रीमती सज्जनकुमारी गोलेछा दीक्षा पूर्व वैराग्य अवस्था का चित्र
जन्म : वि. सं. १६६५, वैशाख पूर्णिमा
दीक्षा : वि. सं. १९६६, आषाढ शुक्ला २, बुधवार
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