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श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, जयपुर भवन पुरा होने पर यह जयपुर की भव्य इमारतों में से एक होगा और जनसाधारण के उपयोग में आवेगा। १२. मालपुरा दादावाड़ी-मालपुरा
यह मालपुरा में स्थित चमत्कारिक स्थान है । दादा गुरुदेव के दर्शन हेतु समस्त भारत के लोग यहाँ आते हैं । यहाँ आवास व भोजन की समुचित व्यवस्था है।
देहली वाले सेठ श्री अमृतलालजी की तरफ से एक बगीचे की व्यवस्था की जा रही है जो इस स्थान की शोभा बढ़ाने के अलावा पूजा हेतु फूल भी उपलब्ध कराता है । दादा गुरुदेव की छतरी के नवीनीकरण व दादावाड़ी के विस्तार की योजना विचाराधीन है। १३. श्री खोह मंदिर जी :
जयपुर के पास खोह गाँव में स्थित यह प्राचीन मंदिर है । इसके जीर्णोद्धार की योजना विचाराधीन है। १४. श्री बालचंद फूलचंद धूपिया जैन श्वेताम्बर धर्मशाला :
वर्तमान में यहाँ एक धर्मादा चिकित्सालय सेवा प्रेमी बंधुओं की तरफ से चल रहा है । १५. श्री ज्ञान भण्डार : . श्री ज्ञान-भण्डार में दुर्लभ ग्रन्थ व पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिसका लाभ साधु-साध्वियों के अलावा समाज को भी प्राप्त होता है।
परम श्रद्धय श्री सज्जनश्रीजी म. सा. व पूज्य श्री शशीप्रभाश्रीजी म. सा. के अथक प्रयास से इसको नवीन स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। १६. बर्तन भण्डार :
___ सामाजिक व धार्मिक कार्यों के उपयोग हेतु सभी प्रकार के बर्तन व अन्य सामान की व्यवस्था है। धार्मिक संस्थाओं को बर्तन वगैरा निःशुल्क दिये जाते हैं। इन वर्षों में काफी नये वर्तन खरीदकर इसको और उपयोगी बनाया गया है। १७. साधर्मी भक्ति:
समय-समय पर बाहर से आने वाले दर्शनार्थियों के आवास व भोजन की व्यवस्था संघ द्वारा सुचारु रूप से की जाती है।
যতালারী १. ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने वाले व्यक्तियों की देवता भी सहायता करते हैं।
ब्रह्मचर्य व्रत के प्रभाव से सभी प्रकार की आपत्तियाँ दूर हो जाती हैं, उन
पर आये हुए संकट क्षणमात्र में दूर हो जाते हैं। २. अपरिग्रह व्रत-धारी जगत में परम पूज्य पद प्राप्त करते हैं। बड़े-बड़े __ शक्तिशाली सम्राट उनके चरणों में झुकते हैं। और वह सदा निर्भय
रहता है। ३. सत्य जब व्यवहार में आता है तभी उससे स्वयं का और सम्पर्क में आने
वालों का कल्याण होता है। ४. कामना और संकल्प में बड़ा भारी अन्तर है । कामनाओं से केवल अशान्ति
बढ़ती है, भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति की इच्छा को कामना कहते हैं। कामनाओं का त्याग किये बिना अध्यात्म साध.. नहीं हो सकती।
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