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________________ ם शुभकामना : संदेश राज्य मन्त्री भारत सरकार विदेश मन्त्रालय, नई दिल्ली- ११००११ १६ मार्च, १६८६ मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि आर्यारत्न प्रवर्तिनी श्री सज्जन श्रीजी महाराज अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर रही है । अभिनन्दन ग्रन्थ के सफल प्रकाशन की कामना करता हूँ । कमलाकान्त तिवारी ( विदेश राज्यमन्त्री) Jain Education International LOX विजयसिंह नाहर : संसद सदस्य ( भूतपूर्व ) (भूतपूर्व उपमुख्यमन्त्री पश्चिम बंगाल कलकत्ता) श्रीपत्री १०८ आर्या शशिप्रभाजी महाराज जोग विजयसिंह नाहर का सविनय वन्दन बहुत बहुत कर अवधारियेगा । यहाँ कुशल है, आप महाराजों का सदा सुख साता चाहता हूँ। मैं अस्वस्थ था इसलिए लेख व पत्रोत्तर नहीं भेज सका, कृपया क्षमा करें । मात्र आर्यारत्न प्रवर्तिनोश्री सज्जनश्रीजी महाराज का अभिनन्दन एवं ग्रन्थ प्रकाशन हो रहा है जानकर खुशी हुई । सदा स्वाध्यायरत प्रवर्तिनी महाराज ने धर्मं ज्ञान प्रसार में जो कार्य किया है वह समाज को अहिंसा एवं अपरिग्रह के रास्ते में आगे बढ़ाने में शक्तिशाली प्रेरणा है । आशा है आज के वैज्ञानिक युग में महाराजश्री द्वारा जैन विज्ञान का बराबर प्रसार होता रहेगा | जैन विज्ञान ऊपर के मशीनों का विज्ञान नहीं है, यह तो अन्दर में मनुष्य देह के अन्तरात्म-विकास का विज्ञान है। जैन सन्त इस प्रगति को नये रूप में विश्व के सामने प्रसारित करें यही कामना रखता हूँ । अभिनन्दन समारोह की पूर्ण सफलता चाहता हूँ । For Private & Personal Use Only विजयसिंह नाहर U www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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