SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३ ४ ५ ७ ८ ह जैन दर्शन में कर्म सिद्धान्त स्वास्थ्य पर धर्म का प्रभाव जैनधर्म में मनोविद्या धर्म - साधना के तीन आधार जैनधर्म विश्वधर्म बन सकता है। अनिर्वचनीय आनन्द का स्रोत : स्वानुभूति जैनदर्शन और योग दर्शन 'कर्म - सिद्धान्त जैन शिक्षा : स्वरूप और पद्धति सम्यग् आचार की आधारशिला : सम्यक्त्व नमस्कार महामन्त्र : वैज्ञानिक दृष्टि स्वरूप- साधना का मार्ग : योग एवं भक्ति आत्मकेन्द्रित एवं ईश्वरकेन्द्रित धर्म-दर्शन जैन हिन्दी काव्य में सामायिक जैनधर्म : स्वरूप एवं उपादेयता जैन साधक के षड़ावश्यक कर्म १८ जर्मनी के जैन मनीषी डा० हेरमान याकोबी सामायिक का स्वरूप व उसकी सम्यक् परिपालना १७ १६ १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ २० २१ २२ २३ ( १६ ) स्व० आचार्यश्री जिन कवीन्द्रसागर सूरिजी म. खरतरगच्छीय साध्वी परम्परा खरतरगच्छ की गौरवमयी परम्परा खरतरगच्छ के तीर्थं व जिनालय श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, जयपुर, एक परिचय प्र. सिंहश्रीजी के साध्वी समुदाय का परिचय खरतरगच्छाचार्यों द्वारा प्रतिबोधित गोत्र जिनका मूल गच्छ खरतर है । Jain Education International डा. शिवप्रसाद हजारीमल बांठिया भंवरलाल नाहटा चतुर्थ खण्ड : धर्म, दर्शन एवं अध्यात्म-चिन्तन अर्ह का विराट स्वरूप अप्पा सो परमप्पा साध्वी हेमप्रभाश्रीजी राजेन्द्रकुमार श्रीमाल जयपुर संघप्रमुख चन्दन मुनि डा. हुकमचन्द्र भारिल्ल पन्यास प्रवर श्री नित्यानन्द विजय जो युवाचार्य महाप्रज्ञ गणेश लालवाणी उपाचार्य श्री देवेन्द्र मुनि काका कालेलकर मुनिश्री अमरेन्द्र विजय जी म० रतनलाल जैन एम. ए. एम. एड. डा. नरेन्द्र भानावत साध्वी सुरेखाश्री साध्वी श्री राजीमतीजी अनेकान्तवाद और स्याद्वाद हिंसा घृणा का घर : अहिंसा अमृत का निर्झर क्रोध : स्वरूप एवं निवृत्ति के उपाय जैन कला में तीर्थंकरों का वीतरागी स्वरूप For Private & Personal Use Only आचार्य मुनिश्री सुशील कुमारजी डा. मांगीमल कोठारी डा. श्रीमती अलका प्रचंडिया महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर डा. पवन सुराणा पं. कन्हैयालाल दक डा. चेतनप्रकाश पाटनी डा. आदित्य प्रचण्डिया साध्वी प्रज्ञाश्री ७० ७८ 50 १०६ १०६ ११८ १-११८ १ ५ १५ १७ २० २७ ३६ ३८ ४८ ५८ ६५ ७० ७३ ७६ ८२ ८४ ६२ ६५ १०० १०४ १०७ डा. मारुती नन्दन तिवारी, डा. चन्द्रदेवसिंह ११४ www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy