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________________ खण्ड १ | जीवन ज्योति १०३ . आचार्य तुलसी, युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ तथा अन्य साधु-साध्वियों का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु पिताश्री सेवार्थ तत्पर रहते थे । परिवार में निरन्तर कहा करते थे “मन का तप करो-तन का तप तो सोरा (सहज) है असली तप तो मन का है।" ऐसे मेरे बहु आयामी पिताश्री का आशीर्वाद हमारे साथ है। केशरीचन्दजी का विवाह जयपुर के प्रसिद्ध बैंकर्स के परिवार में श्री बीजराजजी बांठिया के यहाँ हुआ । आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती रेखादेवी लूनिया है । ये स्वयं भी अत्यन्त सरल हृदया एवं धर्मपरायण महिला हैं। श्री केशरीचन्द जी साहब लूनिया को चार पुत्र रत्नों और तीन पत्रियों की प्राप्ति हुई जिनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं-(१) श्रीविजयकुमार लूणिया, (२) श्री पुखराज लूणिया, (३) श्रीमाणकजी लूणिया एवं (४) श्रीसुरेशकुमार लूणिया तथा पुत्रियाँ (१) श्रीमती कमल सांड, (२) श्रीमती पन्ना सकलेचा, एवं (३) श्रीमती मन्जु पाटी दिया है।। श्री विजयकुमार लूणिया-श्री केशरीचन्दजी साहब के ज्येष्ठ पुत्र हैं । आप एक सफल व्यापारी है। आप हवामहल के सामने स्थित शोरूम "ओरिएन्टल जेम पैलेस" का सफल संचालन कर रहे हैं। आप मिलनसार, हंसमुख और कर्मनिष्ठ व्यक्ति है। आपकी स्व० धर्मपत्नी निर्मला लूणिया कर्तव्यपरायण धर्मनिष्ठ एवं सेवाभावी रही हैं, आपका पुत्र स्व. मनोज एक होनहार बालक था। आपकी अंजु और मनीषा नाम की दो पुत्रियाँ हैं। श्री पुखराज लूणिया-श्रीकेशरीचन्दजी के द्वितीय पुत्र हैं । आपने जवाहरात के कार्य में देश-विदेश में अच्छी ख्याति अर्जित की है । आप उत्साही युवक हैं। और जवाहरात के कार्य में कई नवयुवकों का दिशानिर्देश निरन्तर करते रहते हैं, आप एक शिक्षित, समाजसेवी, धर्मनिष्ठ और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है । आपकी सुशीला, सुशिक्षित, कला मर्मज्ञ धर्मपत्नी श्रीमती रत्ना लूणिया है। श्रीमती रत्नाजी गंगाशहर के प्रसिद्ध आंचलिया परिवार की पुत्री है जिनके साथ लूणिया परिवार का पुराना घनिष्ठ मैत्री सम्बन्ध रहा है और धार्मिक कार्यक्रमों में दोनों परिवार समान रूप में सम्माननीय रहे हैं । अतः .. आंचलिया परिवार की सुसंस्कारी सुशिक्षिता कन्या का इस परिवार में पुत्रवधु के रूप में आना सचमुच मणि-कांचन संयोग माना जायेगा । आपकी पुत्री का नाम अनुपमा है। श्री माणकचन्द लूणिया-आप भी जवाहरात के व्यापारी हैं। आप केशरीचन्दजी के तृतीय पुत्र हैं। किसी भी कार्य को योजनाबद्ध कर उसे पूरी लगन और परिश्रम से पूर्ण करने के आप अभ्यासी हैं। सायर लूणिया आपकी सुन्दर सुशील पत्नी है । आपके दो पुत्र सुदीप और गौरव तथा एक पुत्री है जिसका नाम शालिनी है। श्री सुरेश लूणिया-केशरीचन्दजी साहब के चतुर्थ पुत्र हैं । आप भी जयपुर ही में जवाहरात के कार्य में संलग्न है तथा रामबाग का शोरूम सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं । आपकी धर्मपत्नी इन्दुमति सुमुखी, सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत महिला है। आपकी दो सुन्दर कन्यायें हैं जिनका नाम स्वाती एवं सुरभी है। श्री केशरीचन्दजी की ज्येष्ठ पुत्री कमल का विवाह श्रीविजयमलजी सांड के साथ हुआ जो कि वर्तमान में बिडला संस्थान में चीफ, इक्सजीक्यूटिव हैं। द्वितीय पुत्री पन्नाबाई का विवाह जयपुर के प्रसिद्ध राजजौहरी काशीनाथजी के घराने में श्रीविजयसिंहजी सकलेचा से सम्पन्न हुआ। आप जवाहरात का ही व्यापार करते हैं। ___ तृतीय पुत्री मंजु का विवाह कलकत्ता के उद्योगपति परिवार के श्री अरविन्दबाबू पाटोदिया से सम्पन्न हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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