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________________ ७८ जोवन ज्योति : साध्वी शशिप्रभाश्रीजी के साथ तीनों बहनों (खड़गपुर वालों) ने जैसलमेर की ओर कदम बढ़ाये। अजमेर वालों की विनती स्वीकार कर दीक्षा करवाने हेतु पू. गुरुदेव श्री कैलाशसागरजी म. सा. पधारने वाले थे। __ हम लोग दीक्षा से १०-१५ दिन पहले ही अजमेर पहुँच गये। पू. कैलाशसागरजी म. सा. नियत तिथि पर पहुँचे। पू. विजयेन्द्रश्रीजी म. सा. पहले से ही विराजित थे। तपागच्छ के साधु महाराज भी विराजित थे। जयपुर से गुरुवर्या जी की गुरुबहिन जिनेन्द्रश्रीजी म. सा. व जयश्रीजी म. सा. भी पधार गये थे। वैशाख कृष्णा ६, सं. २०३८ को सुभाष उद्यान में कुमारी मंजू की दीक्षा सानन्द सम्पन्न हुई । दीक्षोपरान्त नाम रखा गया मुदितप्रज्ञाश्री और गुरुवर्या की शिष्या घोषित हुईं। इनकी बड़ी दीक्षा वैशाख शुक्ला १० को सम्पन्न हुई। पू० शशिप्रभाजी के द्विवार्षिक तप का पारणा अक्षय तृतीया के दिन कोठी के मन्दिर में हुआ। यहाँ मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान हैं । संघ ने सिद्धचक्र, महापूजन सहित अष्टान्हिका उत्सव किया। न्यावर में हालवालों के नवनिर्मित मन्दिर की प्रतिष्ठा ज्येष्ठ शुक्ला १० को पू० कैलाशसागर जी म. सा० की निश्रा में हो रही थी। हमें भी आमन्त्रित किया गया अतः हम भी सम्मलित हुए। सानन्द धूम-धाम से प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। चातुर्मास के लिये ब्यावर संघ की विनती स्वीकार कर ली पर जयपुर वालों का भी अत्यधिक आग्रह था अतः प्रियदर्शनाजी आदि ठाणा ५ को जयपुर विहार करवा दिया और गुरुवर्याश्री शशिप्रभाश्रीजी आदि ठाणा ६ ब्यावर में ही विराजे । ब्यावर चातुर्मास : सं. २०३८ ब्यावर चातुर्मास में व्याख्यान गुरुवर्याजी ही फरमाती थीं मन्दिर के परिसर में बनी धर्मशाला में । तप-नियम-त्याग-प्रत्याख्यान आदि खूब हुए। दिल्ली चातुर्मास पूर्ण करके पूज्य गुरुदेव अनुयोगाचार्य जी ब्यावर पधारे। अजमेर से प्रधान सा० आदि तथा जयपुर से हम लोग भी ब्यावर पहुँच गये। पू० गुरुदेव को नागेश्वर दादावाड़ी की प्रतिष्ठा कराने जाना था अतः सिर्फ एक दिन रुककर नागेश्वर की ओर प्रस्थान कर दिया तथा हम लोगों ने जोधपुर की ओर । नागेश्वर में, अखिल भारतीय खरतरगच्छ संघ की मीटिंग में पू० श्री उदयसागरजी म० सा० व प० कान्तिसागरजी म. सा० को आचार्य पद पर तथा पूज्या गुरुवर्याजी को प्रवर्तिनी पद पर प्रतिष्ठित करने का निर्णय लिया गया। तथा पद समारोह जयपुर में ही करना है, यह भी निश्चित कर लिया गया। जयपुर संघ तथा अखिल भारतीय खरतरगच्छ संघ का गुरुवर्याश्री से अत्यधिक आग्रह था कि पदोत्सव उत्सव पर जयपुर पधारें, पर शारीरिक अस्वस्थता के कारण नहीं पधार सकीं, अपने प्रतिनिधि के रूप में पू० शशिप्रभाजी म० सा० को जयपुर भेजा। अखिल भारतीय खरतरगच्छ संघ ने ग रुवर्याश्री को जोधपुर में ही ठाठ से पद-प्रदान करने का निर्णय ले लिया। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.012028
Book TitleSajjanshreeji Maharaj Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashiprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Khartar Gacch Jaipur
Publication Year1989
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size17 MB
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