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________________ वंदन-अभिनंदन! | गरिमा-महिमा की बात पंडितरत्न मुनि श्री सुमन | कुमारजी म. एक संस्मरण श्री सुमनमुनि जी म. सा. की दीक्षा स्वर्ण जयंती पर अभिनंदन ग्रंथ का प्रकाशन होने जा रहा है, यह जानकर श्रमण संघीय सलाहकार मंत्री, उप प्रवर्तक पूज्य अति प्रसन्नता हुई। सुमन कुमारजी म. सा. से मेरा प्रथम परिचय दिसम्बर १६६२ में वानियमबाड़ी (तमिलनाडु) में हुआ। माम्बलम् आपश्री अपने संयमी जीवन के पचासवर्ष पूर्ण करते चातुर्मास के लिए पूज्य श्री से हमारे संघ की विनति हुए जिन-शासन की अभिवृद्धि में प्रगतिरत हैं यही सबसे बैंगलोर से ही चल रही थी। उस समय माम्बलम का नव अधिक गरिमा-महिमा की बात है। निर्मित स्थानक भवन, उद्घाटन हेतु लगभग तैयार हो आपश्री सफल प्रवचनकार, साहित्य सर्जक और काव्य चुका था। उसका उद्घाटन पूज्यश्री के निश्रा में सम्पन्न कला में प्रवीण है। कराने की भावना से हम लोग संघ लेकर पूज्य श्री की सेवा में वानियम्बाड़ी उपस्थित हुए। खूब धर्म चर्चा हुई। आपकी तर्कशक्ति बेजोड़ है। आपने १६६४ में | व्याख्यान श्रवण का भी लाभ मिला। प्रथम परिचय में ही अजमेर के प्रतिनिधि श्रमण शिखर सम्मेलन में पंजाब प्रांत पूज्य श्री ने हम सब के मन को मोह लिया। पूज्य श्री के की ओर से प्रतिनिधि के रूप में तथा मुनि श्री सुशील चातुर्मास के लिए हमारे श्री संघ के अलावा मद्रास के कई कुमारजी तथा प्रवर्तक श्री पृथ्वी चंदजी म.सा.की ओर से नगरों-उपनगरों की विनतियाँ भी चल रही थी। निश्चित भी सफल उत्तरदायित्व निभाया। भाषा में हम लोगों को चातुर्मास की स्वीकृति तो नहीं दी, लेकिन स्थान भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित पूना में सन् १९८७ आपश्री ने श्रमण महासम्मेलन में रहने का आश्वासन जरूर पूज्य श्री ने हम लोगों को दे “शान्तिरक्षक” का पद प्राप्त किया। दिया। यों आपश्री निडर साधक, स्पष्ट वक्ता के रूप में उस समय युवाचार्य प्रवर डॉ. शिवमुनिजी म. सा. प्रख्यात है। वेपेरी, मद्रास के चातुर्मास को सफलता पूर्वक सम्पन्न कर मद्रास के नगर-उपनगरों में विचरण कर रहे थे। स्थानक मैं श्रद्धा सहित चरण वन्दना के साथ यही कामना । भवन के उद्घाटन पर उपस्थित रहने की उनकी स्वीकृति करता हूँ कि आप श्री दीर्घायु तथा स्वस्थ रहकर संघ एवं भी प्राप्त करने में हम लोग सफल हो गये। श्रमण संघ के समाज को मार्गदर्शन देते रहें। दो महान् दिग्गजों की स्वीकृति मिल जाने पर हम लोग दुगुने जोश के साथ उद्घाटन की तैयारियों में लग गये। बी. मोहनलाल भुरट उद्घाटन के पांच दिन पहले पूज्य श्री का मद्रास नगर भू.पू. अध्यक्ष, एस.एस. जैन संघ, राजाजी नगर, बेंगलोर प्रवेश हो गया। हम नाहर बंधुओं को पूज्य श्री ने कृपा करके दो दिन ठहराने का लाभ प्रदान किया इस अवसर पर मुझे पूज्य श्री के अत्यन्त निकट सम्पर्क में आने का ४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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