SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वंदन-अभिनंदन ! जयंतियां नवयुग चेतना में संयम के प्रति निष्ठा जागृत | उनमें से ही एक संत रत्न है -- स्पष्टवक्ता, इतिहास केसरी, करेंगी, ऐसा मेरा विश्वास है। इस गौरवमयी क्षण पर मैं प्रवचन भास्कर, श्रमणसंघ के सलाहकार, मंत्री पूज्य श्री अपने मुनि संघ की ओर से पूज्य श्री का अभिनन्दन सुमनकुमार जी म.सा.। करता हूँ। आप युवाकाल से ही निर्भीक एवं स्पष्टवक्ता सन्त उप प्रवर्तक अमर मुनि रहे हैं। आपकी सेवा करने का एवं दर्शन - प्रवचन श्रवण नांगलोई, दिल्ली का अनेक बार मुझे शुभावसर मिला है। मैं आपके प्रभावशाली व्यक्तित्व से सदैव प्रभावित रहा। पूना-श्रमण(अभिनन्दनाञ्जलि) सम्मेलन में आपकी भूमिका इतिहास के पृष्ठों में उल्लेखनीय है। बैंगलोर में तपसम्राट् श्री सहजमुनि जी म.सा. के परम वंदनीय पूज्यवर श्री सुमन मुनि जी महाराज ३६५ दिवस के तपोत्सव पर भी हमें आपका मार्गदर्शन श्रमण संघ के एक वरिष्ठ मुनिराज हैं। विगत पचास वर्षों मिला। श्रमणसंघ के लिए आपकी सदैव महती भूमिका से आप अपने गुरु गुरुमह आदि पूर्वजों के पदचिन्हों पर रही है। चलते हुए श्रमण संघ को सुदृढ़ बना रहे हैं तथा उसकी गौरवमयी परम्पराओं की संरक्षा के लिए सम्यक् श्रम कर दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ति पर मनोमियाँ यही लहरा-लहरा रहे हैं। कर कह रही हैं कि आप शतायु हों और अपने मार्गदर्शन से जन-जन का कल्याण होता रहे ! यही सद्भावना किआप एक अत्यन्त सरल मुनिराज है। आपकी वाणीविचार और व्यवहार की एकरसता सबको अपना बना जिन-धर्म की बगियाँ में लेती है। आप हमारे क्षेत्र में पधारे। आपकी प्रेरणा से सुमन की सुरभि प्रसरे ! हमारे श्री संघ में नवचेतना का संचार हुआ और स्थानक धर्म-प्रचारक बनकर गुरुवर भवन की आधारशिला रखी गई जो वर्तमान में मूर्त रूप कितने क्षेत्रों में विचरे !! ले चुकी है। हे धर्म दिवाकर! जय हो, विजय हो, यश पताका फहरे !!! कुण्डीतोप श्रीसंघ आपका हृदय से आभारी है एवं आपकी दीक्षा-स्वर्ण-जयंति पर आपका अभिनन्दन करता ० जे. माणकचंद कोठारी महामंत्री मंत्री श्री अ.भा. श्वे-स्था. जैन कॉन्फ्रेन्स, नई दिल्ली एस.एस.जैन संघ कोंडीतोप, चेन्नई ( चिरायु जीवन की कामना) धर्म दिवाकर! भारतीय संस्कृति की संरचना में ऋषि-मुनियों का श्रमणसंघ के निर्माण से लेकर आज तक जिनकी | महान् योगदान रहा हैं। इस संस्कृति को संत भगवंतों ने श्रमणसंघ विकास व व्यवस्था में अहम् भूमिका रही हैं, | ही विवेक की सरिता में निमज्जित कर उज्ज्वल बनाया है। २३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy