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सर्वतोमुखी व्यक्तित्व
सत्र अध्यक्ष श्री सोहनलालजी सिसोदिया, बैंगलोर ने भी विद्वत्तापूर्ण भाषण दिया।
सायं प्रतिक्रमणोपरांत वेला में परम श्रद्धेय म.सा. के सान्निध्य में सामाजिक-धार्मिक विषय पर विचार-विमर्श, शंकासमाधान प्रस्तुत हुए। विचार-विमर्श का मूल्यांकन भी अच्छा था।
श्री चन्दना जैन बालिका मण्डल, अम्बत्तूर मद्रास द्वारा रात्रि में कुव्यसन निषेधात्मक व्यंगपरक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। नाटक का नाम था - 'महाकाल का दरबार'। विभिन्न युवाओं ने जैन गीत-भजन/संवाद भी प्रस्तुत किए।
इसी अवसर पर द्वि-दिवसीय शाकाहार प्रचार-प्रसार हेतु एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिससे जैन व अजैन जन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। चित्र शैक्षणिक व जानकारी
युक्त थे।
वाले स्व. श्री गणेशीलालजी म.सा. के जन्म दिवस पर तपःपूत जीवन पर प्रकाश डालते हुए उस महासन्त के प्रति श्रद्धाभाव अर्पित किए।
युवाओं के कतिपय विचार-बिन्दुओं पर आह्वान करते हुए आपने फरमाया कि आप सभी युवा वर्ग एक शक्ति रूप में संगठित होकर इन कार्यक्रमों को निरन्तर आगे बढाते रहे। उपर्युक्त चारों सत्रों के विषयों को आपने प्रवचन में आत्मसात् करते हुए कहा कि आप सभी स्थानकों की गरिमा व पवित्रता को बनाए रखने में समाज को उल्लेखनीय सहयोग प्रदान करे। आपने 'आहारव्यवहार और विचारः युवा सन्दर्भ' पर भी विशद प्रकाश डाला।
इस प्रसंग पर बीजापुर, बागलकोट, गजेन्द्र गढ, दावणगिरी, शिमोगा, होसपेठ, बंगारपेठ, दोड्डबाल्लापुर, मालुर, अरसिकेरे, चिकमंगलुर, मण्डया, मैसूर आदि नगरों के उत्साही कर्मठ युवा पदाधिकारी तथा सदस्य एवम् स्थानीय युवाओं का आगमन हुआ। सभी ने अपने-अपने युवा संगठनों के विचारों से युवावर्ग व उपस्थित जन .. समुदाय को लाभान्वित किया। ___ इस सम्मेलन की विचारधारा को कार्यान्वित रूप प्रदान करने हेतु जिलास्तरीय प्रतिनिधियों का चयन करने का निर्णय लिया गया तथा कर्नाटक स्थानकवासी जैन समाज एवं स्थानकों की निर्देशिका तैयार करवाने की योजना भी बनाई गई, ताकि स्थानकवासी समाज एक दूसरे से जुड़कर अपने आपको सशक्त बना सके। तथा युवावर्ग को एक नई राह प्रशस्त कर धर्म व समाज के अभ्युत्थान में योगदान दे सके।
स्मृतियों में हमेशा-हमेशा के लिए स्थायी बने रहने वाले इस सफल अद्भुत प्रथम स्थानकवासी युवा सम्मेलन का कुशल संचालन किया - श्री ज्ञानराजजी मेहता व श्री भद्रेशकुमारजी जैन ने।
दि. २६ अक्टूबर को १० बजे से चतुर्थ सत्र के प्रमुख वक्ता थे - श्री ज्ञानराजजी मेहता, बैंगलोर। आपने अपने मौलिक विचारों से युवाओं की हृद् तन्त्री को झंकृत कर दिया। 'धर्म स्थान का महत्व, धर्म के प्रति श्रद्धा तथा युवा व्यक्तित्व में धर्म साधना' विषय पर अपना उत्कट अभिमत प्रकट किया। इस सत्र के अध्यक्ष श्री जे.एम. कोठारीजी ने भी युवाओं को जागृत होने की प्रेरणा दी।
तत्पश्चात् खुला अधिवेशन में अनेक वक्ताओं ने सम सामयिक विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। कुछ उत्साही युवा महिलाएँ भी अपने विचारों को व्यक्त करने के लोभ का संवरण नहीं कर सकी। प्रत्येक वक्ता-श्रोता का उमंग उत्साह दर्शनीय था।
मध्यान्ह म.सा. ने प्रवचन में कर्नाटक गज केसरी, तपोपूर्ति, खद्दरदारी, श्वे. स्थानकवासी श्रमण संस्कृति को प्राणवान बनाने वाले, सोई जनता को पुनः जागृत करने
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