________________
साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
प्रतियोगिताओं को पुरस्कृत किया गया दिनांक १७- केसरी खद्दरधारी श्री गणेशीलाल जी म. का २८वीं पुण्यतिथि ६.८६ की मध्याह्न वेला में।
तातेड़ भवन ईस्ट मारेडपल्ली सिकन्दराबाद में आयोजित ____ इसी प्रकार विविध जयन्तियों, महोत्सवों, तपस्याओं
की गई समायोजक था समस्त मारेडपल्ली जैन समाज। से चातुर्मास ऐतिहासिक रूप ग्रहण करता जा रहा था।
परम श्रद्धेय मुनिवर ने कर्नाटक केसरी के जीवन पर
सांगोपांग प्रकाश डाला। इसी वर्षावास में मानव सेवार्थ आत्म-शुक्ल जयन्ति पर एक विशाल नेत्र शिविर भी समायोजित हुआ। जिसमें
अमोलक दीक्षा दिवसोत्सव अनेक लोग लाभान्वित हुए।
दिनांक १५ फरवरी १६६० गुरुवार को आचार्य विविध कार्यक्रमों और प्रवचनों की शंखलाओं ने अमोलक दीक्षा शताब्दि परमश्रद्धेय मुनिराज की पावन चातुर्मास को अभूतपूर्व ऐतिहासिक बनाते हुए चातुर्मास ।
सन्निधि में आचार्य श्री अमोलक ऋषि जी म. का १०३ समाप्ति को दस्तक दी। विदाई समारोह हुआ।
वाँ दीक्षा दिवस का समायोजन हुआ। __ वर्षावास के पश्चात् पुनः परम श्रद्धेय श्री की विहार
ध्यातव्य है कि आचार्य श्री अमोलक ऋषि जी म. यात्रा प्रारम्भ हुई।
जैन जगत के विशेषतः स्थानकवासी जैन समाज के प्रथम संत प्रवर एवं आचार्य प्रवर थे जिन्होंने आज से लगभग
८४-८५ वर्ष पूर्व जैन धर्म दर्शन के गूढ़-जटिल विषयों चातुर्मासिक-विदाई
को एवं तत्त्वों को समझने के सरल एवं सरस हिन्दी भाषा दिनांक २४-१२-८६ को डॉ. शिवमुनिजी की दक्षिण
निजी की में ग्रन्थ/साहित्य लिखकर नये युग का सूत्रपात किया।
में ग्रन्थ/स विहार यात्रा आरम्भ हुई। वर्षावास विदाई समारोह मुनि
८३ वर्ष पूर्व नगर द्वय (हैदराबाद-सिकन्दराबाद) आपकी श्री सुमन कुमार जी म. की पावन सन्निधि में मनाया गया।
चरण-रज से पवित्र हुआ था। और ७२ वर्ष पूर्व
सिकन्दराबाद नगर में ३ वर्ष स्थिर वास रहकर ३२ सभी ने दक्षिण प्रवास हेतु मंगल कामनाएँ अर्पित की।
आगमों का हिन्दी अनुवाद करके आगम ज्ञान का पठनआनन्द दीक्षोत्सव
पाठन सुगम एवं सुलभ कर दिया। साथ ही सामाजिक १० दिसम्बर १६८६ रविवार को मध्याह्न २ बजे एवं धार्मिक जागृति पैदा की। इस युग प्रवर्तक महान आचार्य सम्राट श्री आनन्द ऋषिजी म. का ७७ वाँ दीक्षोत्सव आचार्य का साहित्य जगत् और समाज को दी गई देन के दिवस सानन्द मनाया गया। यह एक साधना पुरुष के लिए जैन समाज सदैव ऋणी रहेगा। प्रति विनम्र श्रद्धांजलि थी। मुख्य अतिथि थे श्री एम. दीक्षा शताब्दि समारोह के प्रमुख अतिथि थे डॉ. शेरमल जी वोहरा एवं श्रीमान हस्तीमल जी मुणोत। चक्रवर्ती। (हिन्दी विभाग के अध्यक्ष-उस्मानिया यूनिवर्सिटी) समारोह स्थल था श्री जोधराज जी खिंवसरा का निवास अध्यक्ष थे श्रीमान अमोलकचन्द जी सिंघवी। स्थान 'उगमा'।
इसी प्रसंग पर साध्वी पानकुवर जी म. भी अपनी पुण्य तिथि : कर्णाटक केसरी की
शिष्याओं के साथ पधारी। २६ जनवरी १९६० को तपस्वीराज कर्नाटक गज परम श्रद्धेय मुनिवर ने आचार्य श्री अमोलक ऋषि
Jain Education International
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org