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गिरधारी बन गया सुमन, नूतन पथ है अपनाया। त्रिरत्न-पंच महाबत धारा, करने सार्थक काया।।
दिनांक: १५-५-१९६२ को संगरूर में लिया गया गुरुदेव श्री की युवावस्था का एक दुर्लभ चिव,
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