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________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि स्वर्ण दीक्षा जयन्ति के अवसर पर हार्दिक बधाई । ज्ञानचन्द जैन मालेरकोटला (पंजाब) मंगल कामना श्रमण संघीय सलाहकार मंत्री श्री सुमनकुमार जी म. सा. एक प्रबुद्ध चिन्तनशील सन्त हैं। हैदराबाद चातुर्मास के पश्चात् १६६० में आप श्री का पदार्पण रायचूर में हुआ । होली चातुर्मास एवं महावीर जयंति का लाभ मिला। आप श्री जी के साथ उस समय युवाचार्य डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. भी थे और उनकी नेश्राय में रह रहे वैरागी श्री अशोक कोठारी की दीक्षा का निर्णय भी आप श्री जी की सूझ बूझ का ही परिणाम था। उसी समय से हमारा श्री संघ आप श्री जी के चातुर्मास की प्रतीक्षा कर २४ Jain Education International रहा है प्रतिवर्ष विनति के लिए आता रहा है और आज यही आशा लगाए बैठा है कभी तो आशा पूर्ण होगी ही । हमने देखा है पूज्य गुरुदेव हृदय से सरल हैं स्पष्ट वक्ता हैं । हमारा श्री संघ आप श्री जी की दीक्षा स्वर्ण जयंति पर मंगल कामना एवं वन्दन प्रस्तुत करता है । बाबू लाल छाजेड़ अध्यक्ष, एस. एस. जैन संघ, रायचूर (कर्नाटक) इतिहास केसरी पूज्य श्री सुमनमुनिजी म. की दीक्षा स्वर्ण दीक्षा जयन्ति के अवसर पर सपरिवार हार्दिक शुभ कामना अर्पित करता हूँ । सुमन तरह-तरह के, पर खुशबू के कोई-कोई।। इन्सान हम सभी हैं, पर समझू कोई-कोई । । इन्सान का असल में, दिल हो सुमन सा कोमल । । सन्तों में सुमन का दिल है - पर पारखू कोई कोई । । For Private & Personal Use Only → जवाहरलाल आंचलिया रायचूर (कर्नाटक) देवीचन्द धारीवाल जैन कवि - जालना www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
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