SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि साधना सम्पन्न महान्योगी। | गया। टक्कर से स्वाभाविक है - गिरना, चोट भी लगी। खून भी बहने लगा। इसी बीच थ्री व्हीलर वाले को भारत-भूमि ऋषि प्रधान भूमि से गौरवान्वित रही लोगों ने पकड़ लिया। मारपीट पर उतारू हो गए। मगर है। समय-समय पर जन-जन के कल्याण तथा धर्म रथ महाराज श्री ने कहा-'छोड़ दो इसे'। अगर इसको अपशब्द को ग्राम-ग्राम में पहुँचाने का पुनीत कार्य सन्त-समाज, मुनि भी कहोगे तो समझो मेरे जख्म को छेड़ने के बराबर वृन्द करते आ रहे हैं। ऐसी दिव्य महान् विभूतियों में होगा। लौटकर स्थानक आए मगर मुंह से दर्द का कोई तेजस्वी पुंज ज्ञान-सम्पन्न आचार्य श्री कांशीराम जी म.सा.के. शब्द नहीं। डॉ. ने पट्टी कर दी और कह गए एक सप्ताह अंतेवासी पंजाब प्रवर्तक पंडित प्रवर पूज्य श्री शुक्लचन्द्र आराम करना है। मात्र दो घंटे के पश्चात् पुनः ध्यान, जी म. के प्रशिष्य योगीराज पूज्य श्री महेन्द्रमुनि जी म. के स्वाध्याय-साधना में निमग्न हो गए। धन्य है, आपके शिष्यरल श्री सुमनमुनिजी म. का नाम पढ़ते हैं। सहनशील रूप को ! साहित्य में आपकी अत्यन्त अभिरुचि है। अनेक ऐसे महामहिम श्रमण संघीय सलाहकार पूज्य श्री स्थानों पर ग्रन्थों को सुव्यवस्थित करने, करवाने तथा | सुमन मुनि जी म. की दीक्षास्वर्ण-जयन्ति की मंगल वेला में नवीन साहित्य के निर्माण में आप अधिकांश समय दे रहे मैं चाहूँगा कि महाराज श्री का नेतृत्व हमें मिलता रहे। हैं। वर्तमान में 'शक्ल प्रवचन' के रूप में आपने ४ भागों | आप शतायु हों। स्वास्थ्य लाभ से आप लाभान्वित होते में जन-मानस को प्रेरक साहित्य प्रदान किया है। पूर्व में | रहे। ऐसी मंगल भावना है। भी २५ बोल, नवतत्त्व, वीरमती जगदेव आदि पुस्तकों । युवा मनीषी सुभाष मुनि का आपने सम्पादन किया है। १८ डी, चन्डीगढ़ (पंजाब) संघ-निर्माण - संघ के निर्माण में आपकी महत्त्वपूर्ण (लोक में आलोक के प्रतीक भूमिका रही है। आप श्रमण संघीय सलाहकार पद से अलंकृत है। समय-समय पर बिखरते संघ के संरक्षण में दिव्य-भव्य व्यक्तित्व के स्वामी, इतिहास केसरी पूज्य आपने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुरुदेव श्री सुमनमुनि जी महाराज के महिमामण्डित जीवन पारमार्थिक सेवाएँ : सेवा का कार्य बहुत मुश्किल है | से जैन जगत् में आज कौन परिचित नहीं है। लोक में मगर पूज्य गुरुवरों की सेवा में आप कभी पीछे नहीं रहे। | आलोक के प्रतीक परुष पूज्य गरुदेव ने अपने संयमीय स्थान-स्थान पर जाकर आपने हॉस्पीटल, स्थानक, तथा आलोक से दिग्दिगन्तों को आलोकित किया है। हम परम निःशुल्क डिस्पेन्सरी इत्यादि के निर्माण कार्य शुरु करवाए पुण्य शाली हैं कि हमें आप जैसे महापुरुष का १६६४ का जनमानस को सहयोग बाँटने के लिए आप सदैव सजग मंगलमय वर्षावास प्राप्त हआ और निरन्तर चार माह हमें रहते हैं। कोई भी अभाव ग्रस्त अन्यथा अशुभ के प्रभाव आपके मंगल उपदेश सुनने का सअवसर मिला। हम से प्रभावित व्यक्ति का भी अभाव दूर करने का प्रयास कामना करते हैं कि यह अवसर हमें भविष्य में भी प्राप्त करते हैं। आपकी दीक्षा-स्वर्ण-जयन्ती पर हम आपका मंगलमय सहनशीलता : कोयम्बत्तूर चातुर्मास के दौरान किसी अभिनन्दन करते हैं। तपस्वी को मंगलपाठ सुनाने जा रहे थे। थ्री व्हीलरवाले 0 घीसूलाल हिंगड़ जैन का सन्तुलन बिगड़ा और महाराज श्री से आकर टकरा मंत्री, एस.एस. जैन संघ, कोयम्बत्तूर हो। ७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012027
Book TitleSumanmuni Padmamaharshi Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadreshkumar Jain
PublisherSumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
Publication Year1999
Total Pages690
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy