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नमस्कार मुद्रा में परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री.
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चउवीसपि जिणवरा... सिद्धासिद्धि मम दिसंतु,
63 त्रिभुवन पीड़ा हरणहार हो
D तुमको मैरा नमस्कार 20
जि
णमो जिपाणं जियभयाणं.
अरिहन्ते.......शरणं पवज्जामि..
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